No icon

24hnbc

डंकी से देश की, डमी से छत्तीसगढ़ की कट रही नाक

24hnbc.com
बिलासपुर, 10 जनवरी 2025। 
गलत तरीके से किसी देश में प्रवेश करने वाले को डंकी कहा जाता है। अमेरिका और कनाडा में भारत से नियम विरुद्ध तरीके से गए हजारों स्त्री पुरुष इस खिताब से पहचाने जाते हैं। विश्व गुरु की प्रतिष्ठा को गहरा धक्का लगता है। और डमी छात्र का खेल छत्तीसगढ़ में शिक्षा व्यवस्था की प्रतिष्ठा को आघात पहुंचा रहा है। 
अमेरिका में गैर कानूनी प्रवेश पर एक करोड़ तक खर्च हो जाता है, सफलता असफलता की कोई गारंटी नहीं इसी तरह सीबीएससी मान्यता वाले बिलासपुर वाले स्कूल में डमी छात्रों का व्यवसाय करोड़ों में है। 1350 डमी छात्र मात्र दो स्कूल में मिल गए। विश्वसनीय सूत्रों ने दिल्ली की टीम की छापे के बाद इसे माना है। एक डमी ऐडमिशन 50 से 75 हजार रुपए की फीस पर होता है तो यह आंकड़ा शिक्षा जगत की वह कई तस्वीर बताता है जहां 500 के नोट शैक्षणिक सत्र के आरंभिक 3 महीने में ही बरस जाते हैं। 
केंद्र ने कोचिंग संस्थानों के लिए संचालन के नियम घोषित किए हैं बच्चा पकडैया का फंदा कोचिंग के विज्ञापन में ही दिखाई देता है। केंद्र का निर्देश कहता है दसवीं के पूर्व कोई कोचिंग नहीं विज्ञापन कहता है पांचवी सातवीं से 12वीं तक कोचिंग की व्यवस्था इसका बस चले तो केजी 1, केजी 2 में प्रवेश करने वाले छात्रों के माता-पिता को इंटरव्यू कोर्स फेस करने कि कोचिंग भी खोल ले।
कोटा राजस्थान में जब केंद्र के कोचिंग संचालन नियम शक्ति से लागू हुई तो शिकारी (कोचिंग) भाग कर छत्तीसगढ़ में पनाह ले रहे हैं। और बच्चा पकड़ैया जाल फेंक रहे हैं। निजी स्कूलों से सत्र की अंतिम पीटीएम में भवन के बाहर ही कोचिंग के मार्केटिंग डकैत (एजेंट) पर्चा लेकर खड़े हैं वह भी क्या करें पकोड़ा उद्योग फेल है तो बच्चा पकड़ैया उद्योग की नौकरी कर ली। कोचिंग में अवस्था न हो के नाम पर कुछ ने तो बाउंसर भी रख लिए। 
दैनिक अखबारों को विज्ञापन का शहर इतना मीठा लगता है कि वे कोचिंग के दिशा निर्देशों की अवहेलना करने वाले विज्ञापन प्राप्त करने के लिए जी तोड़ मेहनत करते हैं। एलन, प्रयास, आचार्य, आकाश, कोर, फिजिक्स, प्रीमियम, बाईवेंट, ऑक्सीडेशन, टावरी, अग्रवाल, वर्मा किसी का भी विज्ञापन उठाकर देख ले। 
हाल ही में छत्तीसगढ़ मान्यता वाले स्कूल ड्रीमलैंड की मान्यता रद्द हुई हमारी मुख्य शिकायत डमी एडमिशन पर स्कूलों के नाम के साथ जिला शिक्षा अधिकारी से लेकर मुख्यमंत्री, राज्यपाल तक है। शिक्षा विभाग हमसे सबूत मांगता है फैक्ट शिक्षा विभाग के दफ्तर में ही है। जब वे भवन निरीक्षण करते हैं एक कमरे में अधिकतम छात्र संख्या तय है तो उसे अनुपात से चार गुना अधिक छात्रों का प्रवेश अपने आप बताता है कि स्कूल में छात्र डमी है। दसवीं के प्रवेश की संख्या के 3-4 गुना से अधिक छात्र 11वीं 12वीं में है। तो स्पष्ट समझ आता है कि वहां छात्र संख्या डमी है। पर शिक्षा विभाग के होशियार अधिकारी अपने दफ्तर में मौजूद आंकड़ों को ना देख कर शिकायतकर्ता से सबूत मांगते हैं। इससे लगता है की डमी के करोड़ वाले धंधे में अमृत के छिपे (रिश्वत) शिक्षा विभाग के अधिकारियों पर भी बरसते हैं।
डमी एडमिशन कोचिंग और स्कूल की आपसी दोस्ती का परिणाम है कुछ निजी स्कूल जो इस खेल में शामिल नहीं है उनके संचालक स्वयं इन सब गोरख धंधे को समझते हैं पर संघ की सदस्यता उन्हें चुप कर देती है। हाल ही में एक प्रशासनिक अधिकारी ने मिशन अस्पताल रोड स्थित एक स्कूल में किसी कारण प्रवेश किया वे चर्चा में बताते हैं कि भवन के अंदर तो क्लास रूम इतना छोटा हो गया है कि उसे देखकर तो मानती पूरे भवन का मूल नक्शा ही बदल गया। अब शिक्षा का भवन कोई मंदिर थोड़ी ना है वह तो कल कारखाना है और उसे लगने वाला उद्योगपति।