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सेठ के संगठन के साथ कैसे जुड़ेगा जनता का हाथ भाजपा के साथ

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समाचार - बिलासपुर
बिलासपुर। छत्तीसगढ़ में होने वाले विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी को यदि चुनाव जीतना है तो उसे अपने विधानसभा सीट में लंबी छलांग लगाना पड़ेगी। और ऐसा हो के लिए उसे अपने संगठन में नई नियुक्तियां भी करनी पड़ेगी किंतु अभी तक देखा जा रहा है कि प्रदेश को संभालने के लिए प्रभारी दे दिया गया। संगठनात्मक पद दे दिया गया उस पर व्यक्ति की नियुक्ति भी हो गई किंतु यह सब तैयारी ऊपर ही ऊपर है। जिला बिलासपुर की स्थिति खराब है। शहर में जिसे अध्यक्ष बनाया गया है उसका कार्यकाल खत्म हुए 1 वर्ष से अधिक हो गया किंतु नई नियुक्ति की प्रक्रिया शुरू नहीं हो पाई केवल यह कह देने से कि कांग्रेस में लोकतंत्र नहीं है भाजपा में लोकतंत्र नहीं आ जाएगा यह बात किसी से छिपी भी नहीं है कि शहर भाजपा में पिछले 20 साल से अमर गुट का कब्जा है। पिछले चुनाव हार जाने के बाद भी संगठनात्मक स्तर पर भाजपा के कद्दावर नेता अमर अग्रवाल के पसंद से ही नियुक्ति हुई। और अब वक्त पर नई नियुक्तियां नहीं हो रही भाजपा के बड़े नेता धार्मिक यात्रा पर हैं कुछ का कहना है कि भाजपा छत्तीसगढ़ में केवल बयान बाजी और विज्ञप्ति के साथ बाइट देने वाले नेताओं की पार्टी बन गई है और यह सब काम गोदी मीडिया के जरिए बड़े आराम से हो रहा है ऐसे में सड़क की राजनीति जनवादी मुद्दों पर मुखरता से बोलना नहीं होता। पार्टी की दूसरी समस्या महंगाई, बेरोजगारी से जुड़ी हुई है यह दो मुद्दे सीधे-सीधे केंद्र सरकार से जुड़े हैं बिलासपुर भाजपा कार्यालय में जब कभी भी कोई नेता पत्रकारों के समक्ष राज्य सरकार की आलोचना करता है उसे महंगाई और बेरोजगारी पर उठने वाले प्रश्नों का जवाब नहीं सूझता. ...... आज का विषय महंगाई नहीं है यह कह कर पत्रकार वार्ता बंद कर दी जाती है और भाजपा नेता की छवि पीठ दिखाकर भागने वाले नेता की बनती है ऐसे में भाजपा नेता अपने प्रदेश प्रभारी डी पुरंदेश्वरी को एकात्म परिसर में कोई भी जवाब दे दे, असल में उनके पास उत्तर होता ही नहीं है क्योंकि महंगाई और बेरोजगारी पर प्रश्न सच्चा होता है।