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धारा 308(5) बीएनएस कैसे हो गई संवेदनशील एफआईआर को सेंसिटिव डालने पर अधिवक्ता ने, पुलिस अधीक्षक से मांगी एफआईआर की कॉपी

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बिलासपुर, 3 मार्च 2025।
छत्तीसगढ़ डायोसिस के पदाधिकारी नितिन लॉरेंस ने बिलासपुर सिविल लाइन थाने में सुबोध उर्फ रवि मार्टिन द्वारा भयादोहन करने की एक शिकायत की थी। इस शिकायत के आधार पर ईसाई समाज के दो विशिल ब्लोअर यशराज सिंह, और बिनु बैनेट को सिविल लाइन थाना पुलिस रायपुर से बिलासपुर उठा लाई। एफआईआर 17 तारीख की लगभग 4:00 की है। और इसी दिन दोनों को पुलिस ने पड़कर सीजीएम कोर्ट में प्रस्तुत किया। 
धारा 308(5) होने के कारण सीजीएम ने जमानत खारिज कर दी और दोनों को न्यायिक हिरासत में भेज दिया। अभियुक्त की अधिवक्ता ने आज दिनांक 3 मार्च 2025 को बिलासपुर पुलिस अधीक्षक को एक पत्र लिखा है। धारा लिखा की अपराध क्रमांक 174 / 25 ऑनलाइन व्यू एफआईआर में 3 मार्च 12:00 बजे तक संवेदनशील दिखती है। अतः इसे डाउनलोड नहीं किया जा सकता। 
एफआईआर की कॉपी प्राप्त करना अभियुक्त का अधिकार है, और बीके बसु, वर्सेज वेस्ट बंगाल के केस में भी सुप्रीम कोर्ट ने एफआईआर की कॉपी अभियुक्त को मिलने के संबंध में आदेश दिया है। पर सिविल लाइन पुलिस ने गिरफ्तार किया अभियुक्त को एफआईआर की कॉपी नहीं दी, साथ ही इसे ऑनलाइन संवेदनशील खाते में डाल दिया है। अधिवक्ता के इस पत्र ने सिविल लाइन थाने कि इस कार्य प्रणाली को संदेश के घेरे में डाला। इस प्रकरण में रिटायर्ड केंद्र सरकार के कर्मचारी यशराज सिंह की जमानत हो चुकी है। कोर्ट में जमानत याचिका पर अपना पक्ष रखते हुए उनके अधिवक्ता ने यह कहा था कि जब पैसे का कोई लेनदेन ही नहीं हुआ तो बीएनएस की धारा 308(5) कैसे लगाई जा सकती है। साथ ही यह कहना कि शिकायतकर्ता को यह कह कर धमकाया की रायपुर बिलासपुर के बीच उसे कुचलकर मार देंगे उचित नहीं है। जिससे भयादोहन का पैसा लेना हो उसे मार कर क्या हासिल होगा। 
अधिवक्ता ने यह भी कहा कि रकम मांगना साथ में हत्या की धमकी केवल धारा बढ़ाने के लिए लगाई गई । और अब उसे लगातार सेंसिटिव दिखाया जा रहा है जबकि बीएनएस और पूर्व में भारतीय दंड संहिता पाक्सो एक महिला उत्पीड़न के मामलों में ही एफआईआर को संवेदनशील खाते में डालती है ऐसे में 308(5) सेक्शन की एफआईआर को संवेदनशील कैटेगरी में डालना से लगता है कि मामले में कुछ गड़बड़ है। 
पुलिस द्वारा प्रस्तुत रिमांड की कॉपी और उसके आधार पर यशराज के अधिवक्ता द्वारा पेश की गई जमानत अर्जी को पढ़ने पर पता चलता है कि छत्तीसगढ़ डायोसिस के अवैतनिक सचिव को जिस मार्टिन नाम के व्यक्ति ने धमकी दी है उसका रायपुर के दोनों नागरिकों से कोई संबंध नहीं है। अब तक इस मामले में रवि उर्फ सुबोध मार्टिन की गिरफ्तारी नहीं हुई है। न ही समाचार लिखे जाने तक रवि मार्टिन सुबोध मार्टिन या उनके अधिवक्ता के तरफ से कोई आवेदन पत्र न्यायालय में नहीं लगा है।