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रुलर हो या अर्बन, एक दशक में जो खड़ा किया अब वाद और लहराएगा
- By 24hnbc --
- Saturday, 08 Mar, 2025
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बिलासपुर, 8 मार्च 2025।
देश के यशस्वी प्रधानमंत्री का बिलासपुर दौरा इस महीने के अंतिम सप्ताह में संभावित है। छत्तीसगढ़ में एक बड़ी समस्या नक्सलवाद रही है। 6 तारीख को नई दिल्ली में प्रधानमंत्री ने कहा कि जंगलों में नक्सलवाद का सफाया हो रहा है लेकिन यह तेजी से शहरी इलाकों में जड़े जमा रहा है और कुछ राजनैतिक दलों में आज यह विचारधारा पैठ जमा चुकी है। वे एक समाचार चैनल की ओर से आयोजित सम्मेलन को संबोधित कर रहे हैं। उन्होंने कांग्रेस पर भी निशाना साधा कहा लोगों की आकांक्षाओं को कुचल दिया और लोगों ने भी उससे ज्यादा उम्मीदें रखना बंद कर दिया। डबल इंजन, ट्रिपल इंजन छत्तीसगढ़ में लग गए इसके पहले भी लगे थे। जब देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ही थे। छत्तीसगढ़ में डॉक्टर रमन सिंह मुख्यमंत्री थे और कई नगर निगम और नगर पंचायत में तीसरे इंजन इन्हीं के लगे थे। यह बात और है कि तब इंजन की जगह नवरत्नों का जुमला चल रहा था। मोदी के नवरत्न, मुख्यमंत्री के नवरत्न और फिर मंत्रियों के रत्न।
सवाल नक्सलवाद का है, और सवाल जंगल और उनके शहरी केन्द्रों का है। हाल ही में भारतीय अर्थव्यवस्था पर दो अंतरराष्ट्रीय स्तर की संस्थाओं की रिपोर्ट आई एक रिपोर्ट बताती है, देश में 100 करोड़ की आबादी केबल अपनी न्यूनतम ज़रूरतें पूरा कर सके इतना ही कमा रही है, दूसरी रिपोर्ट भारत में अरबपतियों और करोड़पतियों की संख्या में वृद्धि के आंकड़े बता रही है रिपोर्ट कह रही है भारत की कुल एक फ़ीसदी अमीर लोगों के पास देश की कुल संपत्ति का 40% से अधिक हिस्सा है। नीचे के 50 फ़ीसदी आबादी के पास कुल संपत्ति का केवल तीन प्रतिशत हिस्सा है।
विषयान्तर नहीं होगा एक बार की बात है पूरे देश के साथ बुंदेलखंड में भी गजब का सुखा पड़ा था मैं मध्य प्रदेश के टीकमगढ़ जिले में रहता था सरकार रूपयों से ज्यादा हिफाजत अनाज गोदाम की करती थी एक दिन कलेक्टर साहब अंदरूनी चर्चा में कहे यदि भूखे नागरिक अनाज का गोदाम लूटने आ गए तो मैं गोली चलाने नहीं कह सकता। भंडारण अनाज का हो, ज्ञान का हो, संसाधनों का हो या किसी और चीज का वितरण तो करना ही पड़ेगा। इसे नक्सलवाद कहे या कोई वाद केंद्रीय करण किसी भी दृष्टि से उचित नहीं। इतिहास के जानकार बताते हैं औरंगजेब को गोलकुंडा का शासक टैक्स नहीं देता था आनाकानी करता था गुप्त चारों ने बताया कि पूरा धन एक मस्जिद में सुरक्षित रखाया है। औरंगजेब ने मस्जिद पर कार्यवाही कराई धन ले लिया अब हम इस मस्जिद तोड़ना कहे, लूटने कहे या कार्यवाही करना और अपना टैक्स ले लेना कहे, जब भी जहां भी नियमों को धत्ता दिखाकर संग्रहण होगा वितरण उचित नहीं होगा। समाज में उग्र विचारधाराए बढ़ेगी कोई इसे नक्सलवाद कहे तो कहे जब नक्सलबाड़ी से यह आंदोलन निकला तो समस्या कुछ के पास जमीनों का अत्यधिक हो जाना था। इसका एक निराकरण सर्वोदय आंदोलन, भूदान आंदोलन था। संसाधन तो आपको बांटने ही होंगे जब ज्ञान पर कुछ लोगों ने कब्जा करना चाहा उसका वितरण केवल चुनिंदा लोगों के बीच करना चाह तो अंबेडकर आए, और ज्ञान पर हो रहे एक तरफ कब्जे का विरोध किया। आज भीमा कोरेगांव को भी याद कर लेते हैं क्योंकि नक्सलवाद पर यशस्वी प्रधानमंत्री बोले हैं।
छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय की अधिवक्ता सुधा भारद्वाज से उनकी जान को क्या खतरा था पर लंबे समय तक सुधा भारद्वाज भीमा कोरेगांव केस में बंद रही और जमानत के लिए संवैधानिक उपचार खोजती रही। लोकतंत्र में नागरिकों को यह अधिकार प्राप्त है कि वे अपने मत के उपयोग से सरकार बदल दे पर अब तो सरकार जनता को ही बदल देती है। देश के नेता प्रतिपक्ष ने सदन के भीतर और बाहर बड़े तथ्यात्मक तरीके से सरकार द्वारा जनता बदल देने की पूरी प्रक्रिया बताई मतलब नागरिकों को एक विशेष तरीके से उनके मताधिकार से वंचित किया जा रहा है। वे जिनके खिलाफ वोट देते हैं वही चुनकर आता है देश के सभी संसाधन चुनिंदा के पास केंद्रित हो जाए शेष आबादी 80 करोड़ राशन के लिए खड़ी हो जाए। नयनतारा में शेर के बच्चे प्रधानमंत्री के कर कमलों से दूध पिए और इसी देश में करोड़ों बच्चों को माताएं दूध न पिला सके। अब दूध 80 पर है चाहे अमूल हो या मदर डेयरी ऐसे में नक्सलवाद को कोसने के पहले यह देखें कि उनकी नीतियों ने देश में वह सब परीस्थिति बना दी है कि अब यह वाद खत्म नहीं होने वाला है।