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जबलपुर का दीपक क्यों नहीं जल सकता छत्तीसगढ़ में

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बिलासपुर, 10 जुलाई 2024। 
छत्तीसगढ़ में निजी स्कूलों की लूट जो अब माफिया के तर्ज पर हो रही है पर कार्यवाही करने वाले को जबलपुर के कलेक्टर दीपक सक्सेना को अपना प्रेरणा स्रोत बना लेना चाहिए। उनका उठाया हुआ कम जबलपुर में 11 स्कूलों ने पालको का 69 करोड़ रुपया वापस किया। यहां छत्तीसगढ़ में चिट फंड कंपनियों से निवेशकों का पैसा वापस नहीं हो रहा है। लगता है शिक्षा माफिया और चिट फंड कंपनी एक ही तर्ज पर काम कर रही है। जबलपुर और बिलासपुर की सिमिलरिटी देखिए। वहां भी न्यायधानी है यहां भी न्यायधानी हैं। वहां भी रेलवे का जोन है यहां भी रेलवे का जोन है। कलेक्टर जबलपुर के सिर का एक-एक बाल सफेद पर उनकी कार्यवाही युवा कलेक्टरों से भी आगे हैं।
 चुनाव आचार संहिता के दौरान दिल्ली में लू से उनके युवा पुत्र की अकाल मृत्यु हो गई ही थी पर वे बहुत शीघ्र इस सदमे से बाहर आए।
निजी पब्लिसर जो स्कूलों में 20 से 30% कमीशन देकर किताब कहते थे को जेल भेजा और निजी स्कूलों का प्रकाशकों से अवैध संबंध तोड़ा। कलेक्टर के आदेश के चलते 10 स्कूल की फीस निश्चित हुई ‌। एक मान्यता लेकर कई जगह संचालित होने वाले स्कूलों पर जुर्माना लगा और शहर के नामचिन सेंटलाइसिस 8 करोड़, क्राइस्ट चर्च बॉयज एंड गर्ल्स अलग-अलग से क्रमशः 6 करोड़, 2 करोड़, सेंटअलाइसिस सीनियर 9 करोड़, लिटिल वर्ल्ड 18 करोड़, क्राइस्ट चर्च सीनियर 6 करोड़, चैतन्य टेक्नो 4.62 करोड़, ज्ञान गंगा 6 करोड़, स्टेमफिल्ड 4 करोड़, क्राइस्ट चर्च डायोसिस 2.72 लाख कुल मिलाकर 69 करोड़ 27 लाख रूपया वापस हुआ। 
अब चर्चा करें बिलासपुर की एक विसिल ब्लोअर ने कलेक्टर बिलासपुर को रतनपुर स्थित एक सीबीएसई स्कूल, मंगला स्थित कर्नल एकेडमी स्कूल और एक अन्य सीबीएसई स्कूल में बड़ी संख्या में डमी छात्रों के एडमिशन होने की शिकायत की कलेक्टर कार्यालय से जांच निर्देश के साथ यह पत्र जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय चला गया जहां से उक्त स्कूलों की जांच के लिए जांच समिति बनी, दो माह बीत चुके हैं पर शिकायतकर्ता को आज दिनांक तक कोई सूचना नहीं दी गई। डमी एडमिशन का यह मामला इतना गंभीर है कि 4 जून को छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री के जन्म दर्शन का अधिक क्रम में भी कोचिंग क्षेत्र के जाने-माने शिक्षक अमित भूषण गौर ने बिलासपुर के कोचिंग संस्थानों में हो रही धांधली सीबीएसई स्कूलों में डमी एडमिशन और राज्य स्तरीय मान्यता वाले निजी स्कूलों में नियम विरुद्ध कार्यों पर विस्तृत शिकायत की। 
छत्तीसगढ़ में 25 साल के बाद भी शिक्षा का पूरा मामला गड़बड़ झाला वाला है केवल अच्छे भवन से शिक्षा का स्तर नहीं सुधरता। छत्तीसगढ़ में हाई स्कूल हाई सेकेंडरी स्तर पर सीबीएसई के मुकाबले 30% ज्यादा पाठ्यक्रम पढ़ाया जा रहा है। जिससे स्कूल स्तर पर छात्र सीबीएसई के मुकाबले प्रतियोगी परीक्षा में पीछड रहे हैं। स्कूली छात्रों को ठेके पर चाहते कोचिंग को दे दिया जाता है। परिणाम सुनने निकालता है कोनी स्थित ऐसे ही सेंटर के बच्चे कई बार शिकायत करने कलेक्टर बिलासपुर तक आते हैं पर कार्यवाही क्या हुई पता नहीं चलता। हॉस्टल की अधीक्षिकाएं हॉस्टल में शराब पीती है, आदिवासी क्षेत्र में तो हॉस्टल में रहने वाली छात्राएं यौन शोषण की शिकार हो जाती है। पूरे कुएं में भांग घोल दी गई है। शिक्षा राज्य सरकार की अनुसूची में आता है। यह विषय समवर्ती है राज्य में शिक्षा नीति राज्य की प्राथमिकता को देखकर बननी चाहिए केंद्र के नकल से कोई लाभ नहीं होगा। पर जिस तरह का शासन प्रशासन चल रहा है यह मुमकिन नहीं लगता।