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गंगा जमुना संस्कृति के दर्शन करना हो तो कोर्ट आइये

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बिलासपुर, 12 मार्च 2025। 
काफी घंटों तक तहजीब का प्रदर्शन 11 मार्च को सत्र न्यायालय बिलासपुर बिल्डिंग के बाहर यह दृश्य देखा जा सकता था। 10 मार्च को सरकंडा थाने में प्रॉपर्टी डीलर सिद्धाशु मिश्रा को कोर्ट में दायर एक परिवाद के आधार पर फर्जी 22 बिंदु प्रतिवेदन तैयार करने के मामले में गिरफ्तार किया था। 
मामला 2016 का है और तब प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी का ही शासन था। देखने लायक बात यह थी कि हर जाति धर्म के प्रॉपर्टी डीलर कल यहां इसी प्रकरण में मिश्रा जी को जमानत दिलाने एकत्र थे। उनके अपने-अपने राजनीतिक दलों से संबंध भी है कोई बिलासपुर विधायक को पसंद करता है, तो कोई कोटा विधायक को अर्थात राजनीतिक दल की सीमाओं से धर्म की परंपरा से ऊपर उठकर व्यवसाय में सब एक हैं का लुभावना दृश्य यहां दिखाई दे रहा था। और एक बात जो गौर करने लायक थी कि 10 तारीख को संबंधित थाने ने आरोपी को न्यायालय में प्रस्तुत किया तब जमानत आवेदन अपेक्षाकृत जूनियर एडवोकेट ने प्रस्तुत किया था। पर जब 11 तारीख को सत्र न्यायालय में बहस हुई तब अधिवक्ताओं की बड़ी टीम पैरवी करने देती हुई थी। इस टीम में भी सर्वधर्म समन्वय दिखाई दे रहा था कई समाचारों मैं प्रमुखता से बताया गया था कि आरोपी कांग्रेसी नेता है। किसी ने आरोपी को ब्राह्मण समाज का युवा नेता नहीं बताया जबकि कांग्रेसी नेता बताने वाले दैनिक समाचार पत्रों मैं इन्हीं नेताजी के फुल पेज विज्ञापन ब्राह्मण समाज का बड़ा नेता कहते प्रकाशित होता है। फिर यह अवसर सामाजिक सम्मेलन का हो या जयंती का कहने का आश्चर्य यह है कि जमीन का व्यवसाय करते समय व्यक्ति निजी हैसियत रखता है। जैसे ही जमीन व्यवसाय में फर्जी वाला करने पर जेल जाता है तो वह किसी राजनीतिक दल का नेता बन जाता है। मानो उसे पर आरोपित गैर कानूनी गतिविधि के दाग राजनीतिक दल पर चस्पा हो रहे हो।
आम जनता को धर्म के विभाजनकारी लकीरों के बीच बांटने वाले नेता अंदर से एक हैं। जैसे ही उनका कोई साथी संकट में आता है तब नेताओं की गंगा जमुना तहजीब खुलकर दिखाई देती है।