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मस्तूरी में खासरे हो रहे गायब पटवारियों का खेल

छत्तीसगढ़/ मस्तूरी । ब्लाक के पटवारी हल्कों में किसान इन दोनों परेशान है। कारण पटवारियों के द्वारा रिकॉर्ड में की जा रही छेड़खानी है आमतौर पर किसान तभी अपना जमीन का विवरण निकालते हैं, जब उन्हें कुछ खास जरूरत होती है । अन्यथा ऋण पर्ची मे दर्ज विवरण को सही माना जाता है लिमतरा गांव में फेरहीन बाई की खसरा नंबर 565 में 5 एकड़ जमीन है, कृषक कभी भी अपनी जमीन नहीं बेची, और वह जमीन पर काबिज भी है , किंतु इन दिनों कंप्यूटर रिकॉर्ड के अनुसार उक्त जमीन सुरेश चंद्र पांडे गजानंद पांडे के नाम पर दर्ज है। फेरहीन बाई जब पता चला कि अब वह जमीन की मालकिन नहीं है तब वह पटवारी के पास गई। पटवारी रिकॉर्ड दुरुस्ती करण के नाम पर दस हजार रुपए की मांग करता है । पैसा नहीं मिल रहा तो विधिवत तहसील में प्रकरण दर्ज कराओ और रिकॉर्ड दुरुस्ती करण एक या दो दिन नहीं होता पूरी न्यायालयीन प्रक्रिया के बाद आदेश पारित होगा। इस तरह फेरहीन बाई अनावश्यक रूप से तहसील का चक्कर काटेगी ऐसे में यदि सुरेश चंद पांडे वास्तविकता में आ गया तो फेरहीन बाई को अपनी ही भूमि का मालिकाना हक सिद्ध करने के लिए अथक मेहनत पड़ेगी। दूसरा किस्सा पटवारी हल्का नंबर 24 का है, जिसमें खसरा नंबर 54 के बाद सीधा 57 दर्ज किया जाता है दो खसरे गायब होने से किसान की लगभग ढाई एकड़ जमीन गायब हो गई इतना ही नहीं किसान अपना ढाई एकड़ में लगा हुआ धान बेचने के योग्य नहीं बचा । पंजीकरण नहीं हो रहा है ऐसे में जवाबदारी किसकी मानी जाएगी पटवारी के कहे अनुसार खाते के रिकॉर्ड दुरुस्ती तहसीलदार का क्षेत्राधिकार है । अतः बिना न्यायालय में वाद लगाए रिकॉर्ड दुरुस्ती करण नहीं किया जा सकता। यदि यह सत्य है तो रिकॉर्ड से खासरे गायब कैसे हो जाते हैं उसके लिए तो कौन वाद लगता।