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कोरोनावायरस सुपर स्प्रेडर

यह हैं गुरुजी मुंह में राम बगल में छुरी

24 HNBC. बिलासपुर

बिलासपुर। वर्ष 2020 में जब मात्र 72 घंटे का अल्टीमेटम देकर लॉकडाउन हुआ तो स्कूल और कोचिंग सब बंद हो गए। तब बिलासपुर में कोचिंग संस्थानों के कुछ संचालकों ने अपना संगठन बनाया और जैसे-जैसे अनलॉक वन की घोषणा हुई उन्होंने विभिन्न संवैधानिक संस्थाओं के पास अपना ज्ञापन प्रस्तुत किया और कोचिंग खोलने की मांग की, किंतु आज तारीख तक बेहद सीमित तरीके से कोचिंग की अनुमति दी गई है किंतु इसी बीच कुछ कोचिंग संचालक जो एक विचारधारा विशेष से संचालित होते हैं उन्होंने अपनी कोचिंग फुल स्पीड पर चालू कर दी, यह वह कोचिंग संचालक हैं जो यूट्यूब और फेसबुक पर लॉकडाउन के बड़े समर्थक हैं तथा हमेशा इस बात पर चिल्लपो करते हैं की कोचिंग संस्थाओं को बंद रखा जाना चाहिए। यह न केवल देश हित में है बल्कि समाज हित में भी है और इन्हीं ने चुपचाप अपनी कोचिंग को चालू कर रखा है। 
शहर के गुरुकुल कोचिंग बृजेश शुक्ला, आईएएस अकैडमी चतुर्वेदी, संकल्प स्टडी सर्कल, सरस्वती कोचिंग ऐसे ही नाम है । अब कोचिंग सेंटर के अर्थ गणित को पकड़े कल गुरुकुल में जब छापा पड़ा तब वहां पर लगभग 120 छात्र बैठे थे। बाजार का गणित माने तो इस कोचिंग की एक छात्र की फीस 60000 रुपये है इस तरह 120 बच्चे 60000 मुर्गे के रूप में थे। कुल मिलाकर कोचिंग संचालक ने 72 लाख रुपए का व्यवसाय किया इनमें से कई छात्र ऐसे हैं जिनके पालक स्कूल शिक्षा का फीस देने में आनाकानी करते हैं और उच्च न्यायालय तक फोरम बना कर जाते हैं। 
ऑनलाइन की फीस कितनी होगी इस बात पर जनहित याचिका तक लगाते हैं, किंतु जब कोचिंग में हजारों रुपए देने की बारी आती है तो किसी नियम की गुहार नहीं लगाई जाती और कोचिंग संस्थान के मालिक सिर्फ एक जीएसटी देकर वह भी झूठे आंकड़ों पर करोड़ों रुपए कमाते हैं। बिलासपुर में गांधी पुतला से दयालबंद तक गांधी पुतला से रविंद्र नाथ टैगोर चौक तक , मंगला चौक पर नूतन कॉलोनी पर दर्जनों की संख्या में कोचिंग सेंटर कार्यरत हैं। इस पूरे एपिसोड में कोचिंग संचालक दो भाग में बट गए हैं । एक वह है जो पेट के खातिर अपने घर पर दो या तीन बच्चों को बुलाकर सिर्फ उतना ही काम करते हैं कि उनका घर गृहस्ती चल जाए। दूसरी तरफ एक विचारधारा से प्रेरित वह कोचिंग संस्थान हैं जो किसी षड्यंत्र के तहत कोचिंग संस्थान में सैकड़ों की संख्या में छात्रों को इकट्ठा करते हैं हजारों रुपए लेते हैं और नैतिकता की बड़ी-बड़ी डींग हाकते हैं । साथ ही कोविड-19 से स्प्रेडर बने हैं क्या इन्हें नए तरीके का तबलीगी कहा जा सकता है।