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करोड़ों का घपला, हजारों का भविष्य अधर में

आईएएस अधिकारी पर किसका दबाव

24hnbc.com 
बिलासपुर,18 मई 2025।
एक अपंजीकृत समिति का अनुसांगिक संगठन जो पंजीकृत है और शिक्षा जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्र में कार्य करते हुए हजारों छात्र-छात्राओं के भविष्य से न केवल खिलवाड़ करता है। साथ ही वित्तीय अनियमितता और अघोषित रूप से धर्मांतरण के आरोपो से घिरा है। इतने सबके बाद भी इसके पास ऐसा कौन ऐसा जादू है कि मंत्रालय के आईएएस भी उनके सामने नतमस्तक है।
 गौरतलब है कि फर्म एवं सोसाइटी में पंजीकृत जितने भी संस्थाएं होती हैं उनका पूरा संवैधानिक नियंत्रण और नियमो का पालन करवाने की जिम्मेदारी फर्म एवं संस्थान छत्तीसगढ़ शासन की होती है। संस्थाओ से संबंधित किसी भी प्रकार के असंवैधानिक कार्य के कृत पर सोसायटी को अधिकार होता है कि वह विधवत जाँच करें और शिकायत सही पए जाने पर समिति को भंग करें और तब तक के लिए उस पर शासकीय प्रशासक बैठाने का पूर्ण अधिकार होता है। परंतु घोर आश्चर्य का विषय यह है कि पिछले 12 वर्षो से लगातार छत्तीसगढ़ डायोसिस बोर्ड ऑफ़ एजूकेशन चर्च ऑफ नार्थ इंडिया के द्वारा किए जा रहे हैं। असंवैधानिक कार्य व आर्थिक अपराध किए जाने के बावजूद आज तक फर्म एवं संस्थान ने कोई कार्यवाही क्यों नहीं किया? जिला शिक्षा अधिकारी रायपुर द्वारा 2016 में समिति के एक स्कूल द्वारा पांच सालों में स्कूल के सोशल मनी को अपने बोर्ड एवं धार्मिक संस्था को 1 करोड़ से अधिक राशि अवैध तरीके से हस्तांतरित किया गया, ये सिर्फ एक स्कूल का मामला है, बाद में बाकी स्कूलों से भी करोड़ो रूपये के वसूली व गबन का मामला मिला। जिला शिक्षा अधिकारी ने अपनी जांच में कहा कि शिकायत सही पाई गई है, परन्तु अपना पलड़ा झाड़ते हुवे लिखा कि आगे की कार्यवाही फर्म एवं संस्थान रायपुर करेगी परन्तु कोई कार्यवाही फर्म एवं संस्थान नही किया जबकि तुरन्त समिति को भंग कर दिया जाना था, प्रश्न यह है क्या कोई लेनदेन से मामले को दबाया गया ? जिससे प्रेरित होकर ही अपराध व अवैध कार्य किये जाने के हौसले पदाधिकारियों के बुलन्द है? पूर्व में भी इस पंजीकृत समिति के अवैध कार्यो की शिकायत समाज के कई सदस्यों के द्वारा लगातार की जाता रहा है यहां तक की माननीय उच्च न्यायालय में भी इसकी शिकायत की गई थी जिस पर माननीय उच्च न्यालय ने पुनः फर्म सोसायटी द्वारा विस्तृत जांच करने का निर्देश दिया था परन्तु जांच की रिपोर्ट में छत्तीसगढ़ डायोसिस बोर्ड ऑफ एजुकेशन को जांच समिति रायपुर द्वारा दोषी जाने पर भी माननीय उच्च न्यालय पी.एल.आई. के आदेश की धज्जियां उड़ाते हुवे गुमराह किया जा रहा है। जबकि फर्म एवं संस्थान द्वारा तत्काल डायोसिस की बोर्ड को भंग कर प्रसाशक बैठा देना था। 
 फर्म एवं संस्थान के वर्तमान पंजीयक ईमानदार माने जाते हैं ?
  कहां जाता है कि फर्म एवं संस्थान के वर्तमान पंजीयक ईमानदार है एवं नियम के अनुसार कार्य करने वाले अधिकारी माने जाते हैं परंतु सम्पूर्ण दस्तावेज समिति के विरुद्ध पाए जाने के बावजूद भी आज तक कार्रवाई क्यों नहीं की गई यह अत्यंत आश्चर्य का विषय बना हुआ है। वर्तमान पंजीयक के पास जब शिकायत कर्ताओं ने सीडीबीई को गलत धारा 27 प्रदान किये जाने, अवैध संचालन व चुनाव के विरुद्ध धारा 40 के अंतर्गत अपील की गई तब पंजीयक ने शिकायत को सही पाया व तत्काल समिति के ऊपर 5 दिसंबर 2025 को स्थगन आदेश जारी किया और वर्तमान पदाधिकारियों द्वारा नीतिगत कार्यों पर निर्णय लिए जाने के ऊपर रोक लगा दी गई, जो आज दिनाँक तक जारी है। विश्वस्त सूत्रों के अनुसार शिकायत कर्ताओं की शिकायत दस्तावेजी प्रमाण सिद्ध है। फिर भी पंजीयक पर किसका दबाव है की असंवैधानिक कार्यो व आर्थिक अपराध किये जाने के बाद भी समिति को अभी तक भंग नही किया जा रहा है,? क्या ईमानदारी पर अवैध कार्य हावी है ? या फर्म एवं सोसायटी का सीडीबीई के साथ वर्षो पुराना साँठगाँठ अभी भी प्रभावी है? 
 छत्तीसगढ़ डायोसिस बोर्ड ऑफ़ एजुकेशन का 12 वर्ष से अवैध संचालन
 गौरतलब है कि छत्तीसगढ़ डायोसिस बोर्ड आफ एजुकेशन का पंजीयन 2010 में हुआ जबकि छत्तीसगढ़ में मिशन की समस्त संस्थाएं सैकड़ो वर्ष से संचालित की जा रही हैं, सूचना के अधिकार के तहत प्राप्त जानकारी के अनुसार फर्म एवं संस्थान रायपुर के तात्कालिक पंजीयक ने स्वयं पत्र जारी करके बताया था कि छत्तीसगढ़ डायोसिस बोर्ड ऑफ एजुकेशन के अंतर्गत कोई भी मिशन की संस्थाएं अधिनस्त नहीं है, न ही पूर्व फर्म एवं संस्थान भोपाल से कोई एन ओ सी मिला है। जिस पॉवर ऑफ अटॉर्नी के आधार पर संस्थाए संचालित थी वो तात्कालिक जबलपुर डायोसिस द्वारा वापस ले ली गयी थी, यह बात स्वयं डायोसिस के वर्तमान सचिव एवं बोर्ड के तथाकथित उपाध्यक्ष नितिन लॉरेंस ने ई ओ डब्लू जबलपुर को शिकायत करते हुए बताया था कि छत्तीसगढ़ की कोई भी संस्थान छत्तीसगढ़ डायोसिस की नही है । फिर पद में आते ही किस अधिकार से छत्तीसगढ़ की संस्थाओं जिसमे सरकारी अनुदान प्राप्त शालाये भी शामिल है संचालित की जा रही है। यह मामला अपने आप मे एक बहुत बड़ा स्कैम है जिसके माध्यम से लगातार अपराधिक अपराध को वर्तमान पदाधिकारीयो द्वारा जानबूझकर किया जा रहा है। और शासन प्रसाशन आंखे मुंदे हुवे है। 
अत्यंत रोचक विषय यह है कि वर्तमान पदाधिकारी को फर्म सोसायटी द्वारा समिति को धारा 27 की सूची जुलाई 2024 को प्रदान की फिर किस अधिकार से वर्तमान पदाधिकारी द्वारा मार्च 2023 से जून 2024 तक लगातार स्कूल के कर्मचारियों को एवं प्राचार्य को निलंबित किया गया और अवैध कार्यवाही की गई और नीतिगत निर्णय लिए जबकि वर्तमान पदाधिकारीयो के पास संस्था संचालन का अधिकार था ही नहीं, अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक रायपुर के अनुसार यह एक संज्ञेय अपराध था, उसके बावजूद पदाधिकारी ने अवैध तरीके से शालाओं का संचालन किया जा रहा है। प्राप्त जानकारी अनुसार सीडीबीई द्वारा करोड़ो रूपये इनकम टेक्स में जमा नही किया जा रहा है?, ईपीएफ की राशि जमा नही की जा रही है? वसूली कर अवैध नियुक्ति की जा रही है, इस तरह से छत्तीसगढ़ डायोसिस बोर्ड ऑफ एजुकेशन शासन प्रसाशन को भी चूना लगा रहे है। 
इस मामले में सोसायटी में कंटेम्प्ट ऑफ कोर्ट लगाया गया है जिसकी सुनवाई ही नही हुई अभी तक
प्राप्त जानकारी के अनुसार स्थगन आदेश के बाउजूद तथाकथित वर्तमान पदाधिकारियों द्वारा फर्म एवं सोसायटी व पंजीयक को ठेंगा दिखाया है
व नीतिगत निर्णय लिए गए है, जिसके विरुद्ध शिकायतकर्ताओं ने कंटेम्प्ट ऑफ कोर्ट लगाया गया है जिसकी सुनवाई शेष है फिर अंतिम आदेश की फर्जी जानकारी वाट्सएप में कैसे दे दी गयी है? । जबकि किसी प्रकार का अंतिम आदेश फर्म एवं संस्थान रायपुर ने शिकायतकर्ताओं को जारी नहीं किया है तो फिर वर्तमान छत्तीसगढ़ डायोसिस के बोर्ड के तथाकथित उपाध्यक्ष नितिन लॉरेंस द्वारा को यह जानकारी कहां से मिल गई कि उनके पक्ष में आदेश जारी कर दिया है, जिसे जल्दी ही सोशल मीडिया पर प्रस्तुत किया जाएगा। यह खबर भ्रामक है और अगर सच भी है तो आदेश शिकायत कर्ताओं को अभी तक क्यो नही दी गयी है?