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शिक्षा मिशन के अधूरे भवन बने चुनौती

कोरबा 24HNBC 

राजीव गांधी शिक्षा मिशन के तहत वर्ष 2011-12 में स्वीकृत 21 स्कूल भवन निर्माण के लिए 1.90 करोड़ राशि का आवंटन किया जा चुका है। इसकी जिम्मेदारी शाला प्रबंधन समिति को दी गई थी। पूरी राशि जारी होने के 10 साल बाद बाद भी निर्माण कार्य अब तक पूरा नहीं हुआ है। निर्माणाधीन स्कूल खंडहर में तब्दील हो चुके हैं। निर्माण पूरा कराने की जिम्मेदारी से शिक्षा विभाग ने भी पल्ला झाड़ लिया है।राजीवगांधी शिक्षा मिशन के तहत वर्ष 2011 व 12 में 118 स्कूल व अतिरिक्त कक्ष निर्माण की स्वीकृति मिली है। जिसमें 21 भवनों का निर्माण तात्कालिक समय से अब तक अधूरा है। भवन निर्माण के लिए एजेंसी शाला शिक्षा समिति को बनाई गई थी। निर्माण कार्य के लिए वित्तीय अधिकार प्रधान पाठक को दिया गया था। इसके बाद भी भवन का निर्माण पूरा नहीं हुआ। पूर्व कलेक्टर अब्दुल कैसर हक ने राशि वसूली का आदेश शिक्षा विभाग को दिया। शिक्षा विभाग ने संबंधित विकासखंड के अधिकारियों को सूची सौंप दी है। विकासखंड अधिकारियों ने उसे ठंडे बस्ते में डाल दिया। जिन शिक्षकों के कार्यकाल में निर्माण की स्वीकृति हुई थी उनमें कई सेवानिवृत्त हो चुके हैं। ऐसे में शिक्षकों से भी राशि का वसूली हो पाना संभव नही है। निर्माणाधीन स्कूल भवनों में अधिकांश ऐसे भवन हैं जिनका छत लेबल तक काम पूरा नही हुआ है। अधूरे निर्माण के कारण 10 साल से बरसाती मार झेलने के कारण कई भवन ढहने के कगार में है। जिला खनिज न्यास से भवनों में पूर्ण कराकर उपयोग में लाई जा सकती है लेकिन राशि वसूली के इंतजार में स्वीकृति नहीं दी जा रही है।पंचायातों को भी मिला था दायित्वशाला प्रबंधन समिति के अलावा कुछ स्कूलों के निर्माण के लिए पंचायत को एजेंसी बनाया गया था। निर्माणाधीन भवनों के लिए एसडीएम कार्यालय से वसूली का प्रावधान है। शिक्षा विभाग की ओर से ऐसे निर्माण कार्यों के सूची एसडीएम कार्यालय को नहीं भेजे जाने के कारण वसूली लंबित है।