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औपचारिक नहीं अति महत्वपूर्ण है शांति समिति की बैठक

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समाचार - बिलासपुर
बिलासपुर । 12:00 बजे कलेक्ट्रेट के मंथन सभागार में 30 तारीख को शांति समिति की बैठक आयोजित है। पहले ऐसी बैठक के औपचारिक रूप से निपटा दी जाती थी किंतु अब बदली हुई सामाजिक आर्थिक राजनीतिक बदली हुई परिस्थितियों में शांति समिति की बैठक महत्वपूर्ण हो गई है । सबसे पहले तो जुलूस रैली में जिस तरह से विवाद उत्पन्न होते हैं और कानून व्यवस्था बिगड़ती है उसे देखते हुए किसी भी जुलूस रैली के पूर्व शांति समिति की बैठक अत्यंत जरूरी हो गई है। इस बार देश के विभिन्न राज्यों के 7 स्थानों में रामनवमी और हनुमान जयंती के जुलूस एवं रैली में कानून व्यवस्था का प्रश्न उठ गया कुछ जगह तो व्यापक तौर पर सामाजिक विवाद भी हुए और जनहानि भी हुई बाद में कानून व्यवस्था के नाम पर जिस तरीके से बुलडोजर चलें उससे यह प्रश्न और गंभीर हो गया। बदली हुई परिस्थितियों के कारण छत्तीसगढ़ राज्य में भी जुलूस रैली धार्मिक यात्रा के नियम स्पष्ट किए गए। रैली निकालने वालों के नाम उपस्थित 10 महत्वपूर्ण नागरिकों के बारे में विस्तृत सूचना रैली का मार्ग समय, लगने वाला समय उपयोग किए जा रहे वाद्य यंत्र आदि को लेकर स्पष्ट निर्देश आए हैं। सरकार के नियमों को विपक्षी दल संदेह की नजर से देख रहे हैं और इसे अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता में जबरदस्ती की दखलअंदाजी मान रहे हैं इन सब को देखते हुए 30 तारीख की शांति समिति की बैठक और ईद के 3 दिन बाद ही परशुराम जयंती की शोभायात्रा को लेकर जिला प्रशासन के साथ पुलिस और उनके विभिन्न सूचना तंत्र सजग हैं तथा शहर के बैनर पोस्टर से लेकर अन्य गतिविधियों पर तीखी नजर रखी जा रही है इस दौरान राजस्थान, मध्य प्रदेश से आने वाली ट्रेनों पर भी विशेष नजर रखी जा रही है क्योंकि हाल ही में राजस्थान से एक दूसरी तरफ बड़ी मात्रा में भेजी जा रही तलवारों की खेप पकड़ी गई है इन सब समाज विरोधी गतिविधियों से निपटने के लिए पुलिस और उसके अधिकारी कमर कस के तैयार हैं। शहर में सब कुछ उसकी परंपरा के अनुसार शांतिपूर्ण माहौल में निपटे इसके लिए समाज प्रमुख तथा शहर के वरिष्ठ नागरिकों की जिम्मेदारी भी ज्यादा है क्योंकि कहीं ना कहीं समाज के भीतर असामाजिक तत्व किसी स्थिति का बेजा फायदा ना उठा सके इस सब की जिम्मेदारी हमारी भी है।