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परिधान मंत्री किसके सामने बजा रहे हैं बीन

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बिलासपुर, 6 मई 2024।
भारत एक कृषि प्रधान देश है और यहां भैंस कृषि, किसान के लिए महत्वपूर्ण अंग है। हिंदी साहित्य में भैंस को लेकर काफी कुछ लिखा और बोला गया है। पहला मुहावरा भैंस के आगे बीन बजाना, गई भैंस पानी में। सरकारी आंकड़े के अनुसार देश में लगभग 11 करोड़ भैंस हैं, और भैंस की उपयोगिता गाय से इसलिए भी ज्यादा है कि इसे सनातन संस्कृति में कभी भी माता का दर्जा नहीं दिया गया। मोदी जी ने पहले कांग्रेस के घोषणा पत्र को पढ़कर बताया कि वह मुस्लिम लीग का है। दूसरा संपत्ति का एक्स-रे होगा, मंगलसूत्र ले लिए जाएंगे, हमारी भैंस भी ले ली जाएगी यहां मोदी जी के साथ सदी के महानायक किताब बच्चन का भी जिक्र जरूरी है बाकायदा एक कंपनी से विज्ञापन का करोड़ों रुपए लेकर आम हिंदुस्तानी परिवारों का सोना एक कंपनी के पास गिरवी रखवाना उनकी महानता की बड़ी मिसाल है। कहा जा सकता है मंगलसूत्र को घर से बाहर में पहुंचने का काबिले तारीफ काम सदी के महानायक ने किया। मोदी जी का भाषण जनता के सामने था और जनता भैंस नहीं है मोदी जी ने जो बांसुरी बजाई है वह भैंस को भले न समझ आए जनता को तो समझ आएगी। जनता सोच रही है कि मेहनत जनता करती है परंपरा का निर्वहन करने के लिए मंगलसूत्र जनता खरीदी है घर के किसी भी आपातकाल में अपने स्वर्ण आभूषण बेचने या गिरवी रखने का निर्णय उसका स्वयं का होता है। ऐसे समय जब किताब बच्चन स्वर्ण आभूषण गिरवी रखना पैसा लेकर सलाह दे रहे हैं और उसे समय गायब हो जाते हैं जब वही कंपनी स्वर्ण आभूषणों की नीलामी करती है। और यह नीलामी का नोटिस धनतेरस और दिवाली के बाद भी निकल आती है। भैंस देश के कुछ हिस्सों में दूध उत्पादन क्षेत्र में गाय को पहचानती है। पंजाब में तो भैंस का दूध ही सिखों की रगो में दौड़ रहा है। एक भैंस की बाजार में कीमत कभी भी लाख से नीचे नहीं है। पिछले 10 साल में ऐसा कोई क्रांतिकारी परिवर्तन नहीं आया की आम व्यक्ति भैंस खरीद ले। मोदी जी सनातन धर्म के मर्मज्ञ हैं सो यह भी जानते होंगे कि यमराज का वहां भैंस ही है और यदि भैंस नाराज हो गई तो वह पानी में उतर जाती है। पर क्या करें भैंस तो पानी में उतारना जानती है। नेता का पानी तो कब का उतर चुका है।