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कब्रिस्तान से लुबिना पोर्ट तक हिल रही जमीन

ईसाई कब्रिस्तान का भूत फिर बाहर

24hnbc.com
बिलासपुर, 26 जुलाई 2024। 
बलराम टॉकीज रोड स्थित कब्रिस्तान की खरीदी बिक्री जिसमें बेचने वाली संस्था खाईस्ट मिशन इन इंडिया और क्रेता पूर्व विधायक केरकेट्टा मामले की जांच एक बार फिर से शुरू हो गई है। कुछ दिन पूर्व बिलासपुर कलेक्टर ने एक बड़ा निर्णय देते हुए जेकमेन मेमोरियल मिशन अस्पताल की लीज नवीनीकरण का आवेदन खारिज कर दिया था। पूरे भारत देश सहित बिलासपुर में ईसाई मिशनरी की बहुत सी संस्थाएं हैं। हर संस्था स्वयं को सही और अन्य इसी संस्था को झूठा बताती है। 
कब्रिस्तान की बिक्री और खरीदी में जयपुर की एक संस्था का बड़ा भूमिका है। इस संस्था के कथित सचिव ने पहले तो अपने स्कूल के शैक्षणिक गैर शैक्षणिक कर्मचारियों का पीएफ नहीं पटाया जब पीएफ की राशि बड़ी हो गई और कर्मचारी बीमा द्वारा ना पटने पर कानूनी कार्यवाही की चेतावनी दी गई तो उसे आधार बनाकर कब्रिस्तान बेचने की अनुमति का एक आवेदन रजिस्टार फॉर्म सोसायटी के पास पहुंचा दिया गया। पूरे मामले की शिकायत अन्य ईसाई संस्थाओं ने कांग्रेस शासन में भी की थी। पर जांच किसी मुकाम पर नहीं पहुंची हालांकि तानाखार के पूर्व विधायक का टिकट इसी खरीदी बिक्री के कारण कटा ऐसा कहा जाता है। कब्रिस्तान की जमीन की खरीदी बिक्री के स्टांप ड्यूटी चोरी का मुद्दा भी बार-बार उछलता है। इस जांच में बिलासपुर की एक ईसाई संस्था द्वारा संचालित स्कूल के कर्मचारियों के पीएफ न पटाने की जांच भी शामिल है।
छत्तीसगढ़ की ईसाई मिशनरी के कई पदाधिकारी इन दिनों बेहद डरे हुए हैं। उन्हें लगता है कि उनके द्वारा किए गए जमीन और आर्थिक घोटाले इतने बड़े हैं जिनकी यदि जांच हो गई तो मामला जबलपुर डायसिस की विशप के समान ना हो जाए। लगभग 2 वर्ष पूर्व जबलपुर की एक मिशनरी संस्थान के विशप कार्यालय, आवास पर छापा पड़ा था। विशप के घर पर विदेशी मुद्रा भी मिली थी। चर्च की जमीन पर अवैध निर्माण करवा कर उन्हें बेचने एवं किराए पर चढ़ने, कारा का पैसा निजी अकाउंट में डालने, विशप की पत्नी का आधा दर्जन से ज्यादा संस्थानों में एक साथ नौकरी करने और वेतन की राशि डकार जाने जैसी गंभीर आरोपों के कारण विशप को जर्मनी से विदेश यात्रा समाप्त कर नागपुर आने पर हवाई अड्डे से ही ही हिरासत में ले लिया गया था। लंबी अवधि के बाद विशप को जमानत मिली।