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पहले बनाया धार्मिक अब हो रही सांप्रदायिक पुलिस
- By 24hnbc --
- Thursday, 25 Jul, 2024
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बिलासपुर, 26 जुलाई 2024।
हम आप नहीं लग रहे हैं यह सच्चाई है और यह मामला देश की राजधानी दिल्ली पुलिस का है। एक समय सर्वोच्च अदालत के एक जस्टिस ने पुलिस को सरकारी गुन्डों का गिरोह कहा था। पर अब वह टिप्पणी सामान्य नजर आती है। दिल्ली हाई कोर्ट के जस्टिस अनूप भंभानी ने दिल्ली पुलिस पर बहुत ही कड़ी टिप्पणी की कहां पुलिस वालों का पांच मुस्लिम लड़कों को पीटना धार्मिक कट्टरता से प्रेरित था। और इसलिए यह एक हेट क्राइम माना जाएगा। पुलिस थाने में मरने वाले का नाम शहजाद था। जज ने यह भी कहा यह एक असामान्य बात है कि घटना के दिन थाने के पूरे सीसीटीवी खराब थे। जब इन्हें पूरे मामले की जांच के लिए यह प्रकरण सीबीआई को दे दिया यह बात अलग है कि सीबीआई भी उसी के अधीन कार्य करती है जिसके अधीन दिल्ली पुलिस 2020 में देश की राजधानी दिल्ली में जो दंगे हुए उसमें 40 मुसलमान और 13 हिंदू मारे गए। शहजाद नाम का युवा उन पांच युवाओं में शामिल हैं जिन्हें दिल्ली पुलिस मार मार कर राष्ट्रीय गान गाने को कह रही दिल्ली पुलिस ने बड़ी संख्या में जाति देख-देख कर आरोपी बनाएं। अदालतों ने समय-समय पर कई लोगों को बरी किया 2021 में दिल्ली कंणकण दूमा अदालत के एक जज ने 2023 में दंगा फैलाने के नाम पर तीन लोगों को बरी किया कहा पुलिस ने सबुतो के साथ छेड़छाड़ की है और कैसे को ठीक से जांच नहीं की, पिछले साल में दिल्ली पुलिस की प्रतिष्ठा बहुत नीचे चली गई ऐसी प्रतिष्ठा अन्य राज्यों की पुलिस की भी हुई है। कुछ राज्यों की पुलिस को अभी-अभी यह एक रोग लगा है।
मुद्दा कुछ विशेष मामलों की जांच का नहीं है बीमारी बहुत लंबी फैली है भ्रष्टाचार से ज्यादा संवेदनशील बीमारी सांप्रदायिकता की है। देश में पुलिस सुधार के बहुत से आयोग बने उनकी चर्चा नहीं कर रहे हैं अब वह समय आ गया कि पुलिस के धार्मिक उपयोग पर रोक लगे। पुलिस का धार्मिक इस्तेमाल से सांप्रदायिकता की ओर ले जा रहा है। दिल्ली हाई कोर्ट ने पुलिस पर जो टिप्पणी की है वह केंद्र सरकार के खिलाफ भी है। हमें और देश के संवैधानिक संस्थाओं को अब इस मामले में गंभीर हो जाना चाहिए।