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हिंदू राष्ट्र के संकल्प के लिए यूं ही नहीं चुना गया छत्तीसगढ़

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समाचार -
छत्तीसगढ़ भारत के उन राज्यों में शामिल है जहां पर आदिवासी की संख्या नंबर 1 है। ऐसे में एसटी बहुल राज्य में हिंदू स्वाभिमान जागरण संत पदयात्रा की धर्म सभा और उसमें हिंदू राष्ट्र का संकल्प पास किया जाना के गंभीर मायने हैं। नंबर 1 राज्य के भीतर वर्ग संघर्ष बढ़ेगा औद्योगिक माहौल खराब होगा बेरोजगार काम के स्थान पर गैर उत्पादक काम धर्म से गैरजरूरी रूप से जुड़ेगा। नक्सल प्रभावित क्षेत्र के साथ शहरी क्षेत्र का माहौल भी विघटनकारी बनेगा। आज रायपुर में संत पदयात्रा का समापन हो रहा है यह धर्म सभा यूं ही छत्तीसगढ़ में नहीं हो रही है इसके पहले छत्तीसगढ़ के कुछ जिलों में धार्मिक कटुता बढ़ाने वाले प्रयोग करके देखे गए और उन्हीं के आधार पर संतों की धर्म सभा का फार्मूला निकाला गया है। छत्तीसगढ़ में ऐसे आदिवासी चिंतक जागरूक सामाजिक कार्यकर्ता बड़ी संख्या में है जो यह कहते हैं कि आदिवासी हिंदू नहीं है। वह आदिवासी हैं और प्रकृति की पूजा इस का अभिन्न अंग है। समाज के नेता संत कुमार नेताम जो स्वयं उच्च शिक्षित है अभियांत्रिकी में एमई है। का कहना है हम संविधान को मानते हैं हिंदू राष्ट्र की बातें नवीन सामंती दिमाग की उपज है हिंदुत्व मुट्ठी भर लोगों का संसाधनों पर कब्जा करके शेष पर शोषित बनाने का नया खेल है। और इससे आरएसएस और उसके पिछलग्गू जानबूझकर छत्तीसगढ़ से शुरू कर रहे हैं। हिंदू राष्ट्र ठीक वैसे ही गलती है जैसी मुस्लिम लोकतंत्र है और इसके झटके दर्जनों की संख्या में अभी से दिखाई देते हैं। ऐसे में देश में निवासरत उन सभी लोगों को एक हो जाना चाहिए जिन्होंने अंग्रेजों को भगाने के बाद संवैधानिक लोकतंत्र में अपना भविष्य सुरक्षित पाया छत्तीसगढ़ में इसके पहले भी धर्म सभा हुई है जिसमें राष्ट्रपिता महात्मा गांधी को अपशब्द कहकर छत्तीसगढ़ का माहौल बिगाड़ा गया धर्म व्यक्तिगत मामला है पर इन दिनों सत्ताधारी दल हमारी आपकी थाली से लेकर कपड़ों की अलमारी से लेकर भाई बहन, पति-पत्नी के रिश्तो को भी कैसे होंगे को तय करने में घुस रहे हैं। आम नागरिक की जो अपने संवैधानिक अधिकारों के प्रति जागरूक है वह देश में संविधान का, कानून का राज चाहता है और संवैधानिक लोकतंत्र के देश से उसे प्रेम है।