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नालंदा की कहानी के बाद, चाणक्य भी मिथ लगता है

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बिलासपुर, 6 सितंबर 2024। 
नालंदा में कौन हीरो कौन विलन पर एक बार हमने संक्षिप्त राय व्यक्त की थी। भारत में किस्सा कहानी, मिथ रचना में ब्राह्मणों का कोई सानी नहीं। ऐतिहासिक प्रमाण हो या न हो सुपरमैन, स्पाइडर-मैन रच देना और उसके लिए तर्क गढ़ना सब कुछ किया जा सकता है। इतिहास करो और भाषा वैज्ञानिक डॉ राजेंद्र प्रसाद सिंह कहते हैं चाणक्य ब्राह्मण के द्वारा गढ़ा गया एक कैरेक्टर है, और ब्राह्मणों के वर्चस्व को बढ़ाता है। क्या सबूत के आधार कहा जाता है। सम्राट अशोक के दरबार में सबसे बड़ा लेखक और सलाहकार का नाम चपड़ था वह ब्राह्मण नहीं मौर्य साम्राज्य और नंद वंश, बौद्ध साम्राज्य थे। ऐसे इतिहासकार जो ब्राह्मण थे उन्होंने अपनी मौजूदगी दर्ज करने एक काल्पनिक चरित्र बना दिया ईसा पूर्व मौर्य साम्राज्य के समय जाति वर्ण व्यवस्था नहीं थी। ब्राह्मण इतिहासकारों ने जाति वर्ण व्यवस्था को इस मिथ के द्वारा मौर्य कालीन साबित किया। 
आज हमारे यहां लोकतंत्र है फिर भी मंत्रिमंडल और उसके सलाहकार प्रधानमंत्री को आंख दिखा सकते हैं .... नहीं तब मौर्य काल में एक साधारण साधु राजा को आंख कैसे दिखा लेता था। देश के इतिहास में ऐसा बहुत कुछ है जिस पर खुले मस्तिष्क को शोध होना चाहिए।