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सीजेआई को खुला पत्र माँगा इस्तीफा

 

 

नई दिल्ली 24HNBC 

सीजेआई शरद अरविंद बोबडे को एक पत्र (ओपन लेटर) लिखते हुए चार हजार से अधिक महिला अधिकार कार्यकर्ताओं, प्रगतिशील समूह और नागरिकों ने सुप्रीम कोर्ट में उनके द्वारा ‘नाबालिग से बलात्कार के आरोपी युवक से पीड़िता से विवाह करने‘ की बात पूछने और मैरिटल रेप को सही ठहराने को लेकर उनसे पद छोड़ने की मांग की है.1 मार्च को एक नाबालिग से बलात्कार के आरोपी महाराष्ट्र के सरकारी कर्मचारी मोहित सुभाष चव्हाण की जमानत की अपील सुनते हुए सीजेआई बोबडे की अगुवाई वाली पीठ ने उससे पूछा था, ‘क्या तुम उससे (लड़की से) शादी करना चाहते हो. अगर तुम शादी करने को इच्छुक हो तो हम इस पर विचार कर सकते हैं अन्यथा तुम्हारी नौकरी जाएगी और तुम्हें जेल जाना होगा तुमने उसे फुसलाया और बलात्कार किया.’साथ ही पीठ ने जोड़ा था, ‘हम शादी के लिए दबाव नहीं डाल रहे. हमें बताओ तुम क्या चाहते हो. वरना तुम्हें लगेगा कि हम तुम पर शादी के लिए दबाव डाल रहे हैं.’इस बयान, जो ऐसा दिखाता है कि अगर किसी नाबालिग से बलात्कार के बाद बलात्कारी उससे शादी कर लेता है, तो यह ठीक है, को लेकर कड़ा विरोध हुआ. कार्यकर्ताओं ने अपने पत्र में लिखा है, ‘हम भीतर से इस बात के लिए आहत महसूस कर रहे हैं कि -हम औरतों को आज हमारे मुख्य न्यायाधीश को समझा पड़ रहा है कि आकर्षण, बलात्कार और शादी के बीच के अंतर होता है. वह मुख्य न्यायाधीश जिन पर भारत के संविधान की व्याख्या कर के लोगों न्याय दिलाने की ताकत और ज़िम्मेदारी है.’पत्र पर दस्तखत करने वाले लोगों ने यह भी कहा, ‘बहुत हो चुका. आपके शब्द न्यायालय की गरिमा और अधिकार पर लांछन लगा रहे हैं. वहीं मुख्य न्यायाधीश के रूप में आपकी उपस्थिति देश की हर महिला के लिए एक ख़तरा है. इससे युवा लड़कियों को यह संदेश मिलता है कि उनकी गरिमा और आत्मनिर्भरता का कोई मूल्य है. मुख्य न्यायालय की ऊंचाइयों  से बाकी न्यायालयों और तमाम न्याय पालिकाओं को यह संदेश जाता है कि इस देश में न्याय महिलाओं का संवैधानिक अधिकार नहीं है. इससे आप उस चुप्पी को बढ़ावा दे रहे हैं जिसको तोड़ने के लिए महिलाओं और लड़कियों ने कई दशकों तक संघर्ष किया है.’इस पत्र पर कई जानी-मानी महिला अधिकार कार्यकर्ताओं ने हस्ताक्षर किए हैं, जिनमें एनी राजा, मरियम धवले, कविता कृष्णन, कमला भसीन, मीरा संघमित्रा, अरुंधति धुरु आदि शामिल हैं. इसके साथ ही महिला संगठन- ऑल इंडिया प्रोग्रेसिव विमेंस एसोसिएशन, ऑल इंडिया डेमोक्रेटिक विमेंस एसोसिएशन, नेशनल फेडरेशन ऑफ इंडियन विमेन, विमेन अगेंस्ट सेक्सुअल वायलेंस एंड स्टेट रिप्रेशन, फोरम अगेंस्ट ऑप्रेशन ऑफ विमेन, बेबाक कलेक्टिव, भारतीय मुस्लिम महिला आंदोलन, दलित विमेंस फाइट, बासो, THITS, विमेन एंड ट्रांसजेंडर आर्गेनाईजेशन जॉइंट एक्शन कमेटी आदि और विभिन्न क्षेत्रों में काम करने वाले सचेत नागरिक जैसे एडमिरल रामदास, अरुणा रॉय, निखिल डे, आनंद सहाय, देवकी जैन, जॉन दयाल, लक्ष्मी मूर्ति, अपूर्वानंद, फराह नकवी, आएशा किदवई आदि शामिल हैं.