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आजादी का अमृत उत्सव कर्जा लेकर मना रहा देश
- By 24hnbc --
- Friday, 06 Jan, 2023
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समाचार -
बिलासपुर, 7 जनवरी 2023। देश आजादी का अमृत उत्सव क्या कर्जा लेकर मना रहा है भक्त जनों के साथ-साथ आम आदमी भी समझे 1947 में जब भारत स्वतंत्र हुआ तब से 2014 तक 66 सालों में हमने कूल 55 लाख करोड़ का कर्जा लिया। 2014 के बाद से 2022 तक हमारे प्रधानमंत्री ने 100 लाख करोड़ का कर्जा ले डाला। इस तरह हमारा देश लगभग 160 लाख करोड़ के कर्जे में है। हमारी आए यदि ₹100 है तो ₹43 ब्याज पटाने में चला जाएगा। ₹30 वेतन पर चले जाएंगे तो बाकी बची रकम से क्या देशवासी झोला उठाकर जंगल चला जाए ऐसी स्थिति क्या किसी ने कल्पना की थी। प्रतिवर्ष हमारा देश हमारा देश 2 से 500000 करोड रुपए कर्ज ले रहा था और यह तरीका कई साल से चल रहा था पर ऐसा किसने सोचा था कि प्रतिवर्ष 2000000 करोड़ रूपया कर्ज लिया जाने लगेगा इसे समझें हालत तेजी से खराब है और हम जनता की वाहवाही लेने पूर्वोत्तर में फ्री में डिश एंटीना बांट रहे हैं जिससे जनता जनार्दन का मनोरंजन हो सके। फ्री डिश एंटीना देने से बेहतर नहीं होता कि हम उस क्षेत्र में एंबुलेंस की व्यवस्था कर देते पर हमारी सरकार को रोजगार देना नहीं आता मंदिर की डेट देना आता है मंदिर इसलिए हमें अच्छा लगता है कि वहां रोजगार के स्थान पर मंदिर के बाहर भिक्षा प्राप्त करने के लिए हमारे पास करोड़ों की जनसंख्या है इसे धर्म की आलोचना न समझे हमारी स्थिति कितनी ही खराब है। बांग्लादेश के ऊपर जो कर्ज है उसका ब्याज हुआ 22 से ₹25 में पटा रहा है पाकिस्तान ₹42 पटा रहा है और हम ₹41 अभी वर्तमान में पढ़ा रहे हैं जिसका बढ़कर कब ₹43 से ऊपर चल देगा भक्तों को पता ही नहीं चलेगा। मनमोहन सिंह के समय हम आएगा 25% कर्जा पटाने में व्यय करते थे इस दृष्टि से भी वर्तमान हालत चिंताजनक है सदन में वित्त मंत्री को एक लाख करोड़ का तेल बांड महंगा लगता है और वे हाथ नचा नचा कर मनमोहन सिंह की आलोचना करती हैं ऐसे में 9 साल में 100 लाख करोड़ का कर्जा पर क्या नचाना पड़ेगा। मनरेगा में 2014 में सरकार ने एक करोड़ 64 लाख जॉब दिया अभी तीन करोड़ से ऊपर जॉब दिया जा रहा है यह प्रतिष्ठा की बात नहीं है इसी से अंदाज लगता है कि गरीबी किस कदर बढ़ी है अन्यथा रोजगार गारंटी कानून के तहत कोई काम मांगने क्यों आए। दूसरा डाटा आरबीआई का है गोल्ड लोन में 218% की वृद्धि हुई लैंड होल्डिंग में 22% की गिरावट हुई। हमने इसके पहले भी कई बार गोल्ड लोन में डिफॉल्टर्स की बढ़ती सूची का जिक्र किया है, बैंकिंग के जानकार बताते हैं कि गोल्ड लोन की रकम इतनी नहीं थी कि उसे से व्यापार किया जाता था लोगों ने अपनी दैनिक आवश्यकता की पूर्ति आटा तेल चावल गृहस्थी चलाने के लिए गोल्ड लोन लिए, जमीन बेची सरकार अपना घाटा तो नोट छाप कर पूर्ति कर लेते हैं आम आदमी के पास जमीन बेचना या गोल्ड बेचना या लोन लेना के अतिरिक्त दूसरा कोई विकल्प नहीं। आज हमारी अर्थव्यवस्था की ग्रोथ के सेफ में हो रही है जिसका सीधा अर्थ है अमीर और अमीर हो रहा है गरीब और गरीब हो रहा है। देश की उद्योगपति का हालत समझें हिमाचल प्रदेश में अदानी जैसे विश्व के दूसरे सबसे बड़े अमीर को सीमेंट कारखाने की 2 महीने की मंदी उचित नहीं लगी और उन्होंने तालाबंदी कर दी जबकि देश का लाखों लाख किसान हर साल घाटे का कृषि व्यवसाय करता है यदि वह किसानी बंद कर दे तो देश कैसे चलेगा एक खरबपति कुछ दिन का घाटा बर्दाश्त नहीं करता और इस देश का किसान सालों से घाटी की कृषि कर रहा है पर आप की अदालत अदानी का इंटरव्यू दिखाएगी किसान का नहीं, और इंटरव्यू लेने वाला योग सम्राट के साथ कंपनियों में हिस्सेदारी करेगा। इस वर्ष ले देकर सोयाबीन की फसल अच्छी हुई रेट अच्छा मिलने की संभावना थी तो देश के सबसे बड़े तेल निर्माता ने विदेश से सोयाबीन का आयात कर लिया इसे राष्ट्रभक्ति कहेंगे या अपने किसान के पेट पर लात मारना।