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राव घाट रेल परियोजना से बदलेगी इलाके की तस्वीर

 

 

भिलाई। नक्सलियों के गढ़ में अब विकास की राह आसान हो रही है। आदिवासी क्षेत्र रावघाट में रेल पटरी बिछाने का काम चल रहा है। दल्ली राजहरा से रावघाट तक 95 किलोमीटर की दूरी है। दुर्गम मार्ग, जंगल, पहाड़ी की वजह से रेल पटरी बिछाने में काफी परेशानी हो रही है, जिसको 200 पुल-पुलिया से आसान किया जा रहा है। भिलाई इस्पात संयंत्र रेल पटरी बिछाने का खर्च उठा रहा है। करीब 1200 करोड़ रुपये के प्रोजेक्ट के लिए रेल पटरी और सरिया आदि भी भिलाई इस्पात संयंत्र दे रहा है।रावघाट लौह अयस्क परियोजना के लिए रेल पटरी पटरी बिछाई जा रही है। रेल पटरी बिछाने का काम रेल विकास निगम लिमिटेड-आरवीएनएल कर रहा है। गुदुम से केंवटी तक 25 किलोमीटर के दायरे में 50 पुलिया है। इतना ही राजहरा से गुदुम के बीच है। इसी तरह केंवटी से ताडोकी के बीच 200 पुल और पुलिया है। करीब 170 का कार्य लगभग पूरा होने होने वाला है।2028 हेक्टेयर क्षेत्र में खनन का अधिकार मिला हुआ है। 883 हेक्टेयर डायवर्टेड फारेस्ट है। इसी एरिया पर खनन के साथ ही सेटअप को तैयार किया जाना है। फिलहाल, रेल पटरी बिछाने काम जारी है। इसलिए बीएसपी को लौह अयस्क की कमी को दूर करने के लिए ऊंची दर पर बाहर से खरीदना पड़ रहा है। करोड़ों का नुकसान हर माह उठाना पड़ रहा है। जबकि रावघाट में सौ साल तक बीएसपी खनन कर सकता है।रावघाट व आसपास का बड़ा हिस्सा मुख्य धारा से कटा हुआ है। रेल परिचालन होते ही आर्थिक रूप से लोगों को बड़ी राहत मिलेगी। यह कार्य 200 से ज्यादा पुल-पुलिया ने आसान कर दिया है। बीएसपी को लौह अयस्क खनन से फायदा होगा।