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एनटीपीसी फसल क्षतिपूर्ति राशि में चल रहा भ्रष्टाचार

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समाचार - बिलासपुर
बिलासपुर। एक तरफ भरी प्रेस कॉन्फ्रेंस में एनटीपीसी के प्रबंधक फसलों की क्षतिपूर्ति मुआवजे में खर्च की गई राशि के प्रश्न पर जवाब शून्य में देते हैं दूसरी और गतौरा, रलीया, राख, नवागांव, तेंदुआ, एरमशाही , भिलाई के दर्जनों कृषकों को हर साल क्षतिपूर्ति राशि दी जाती है । यह अच्छी बात है किंतु यहां भी मुआवजा राशि कम देना पड़े के लिए किसानों के रकवे में कमी कर दी जाती है और माल मिलने पर रकवा बढ़ा दिया जाता है। ऐसी ही एक शिकायत महेश कुमार पिता माधव लाल की है। मामला पटवारी हल्का नंबर 26 ग्राम गतौरा का है खसरे में जमीन 3.86 डिसमिल दर्ज है किंतु क्षतिपूर्ति राशि 2.97 डिसमिल पर ही दिया गया । सर्वे के समय भूमि स्वामी मौके पर था और उसके सामने ही जमीन में से 89 डिसमिल रकवा कम हो गया किसान को सदमे में हार्ट अटैक आया और कुछ ही दिन पश्चात उसकी मौत हो गई तब से जमीन गायब होने और क्षतिपूर्ति राशि में बदलाव की समस्या को लेकर मृतक का पुत्र सीपत तहसीलदार से होते हुए एसडीएम मस्तूरी और एनटीपीसी के बीच पेंडुलम बना हुआ है। इस बीच जमीन का रकवा कम होने के कारण प्रभावित का विवाद अपनी बहनों से भी हो गया इतना ही नहीं मां भी यही सोचती है कि बेटा जमीन में कुछ गड़बड़ी किया है। इस तरह एनटीपीसी राजस्व अधिकारी के लापरवाही या रिश्वत की डिमांड के चलते एक हंसता खेलता सामान्य परिवार रोज कलह झेल रहा है