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सिर मुड़ाते ही कोयले के जनसंपर्क पर पढ़े ओलें
- By 24hnbc --
- Tuesday, 01 Feb, 2022
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समाचार - बिलासपुर
बिलासपुर। 1 वर्ष में 1 लाख 7 सौ 20 लाख टन कोयला निकालने वाली एसईसीएल जिसकी खदाने छत्तीसगढ़ मध्य प्रदेश में फैली हुई हैं का जनसंपर्क विभाग उस समय असहाय नजर आता है जब वह अपने नए सीएमडी को पत्रकारों के सामने रखता है। कारपोरेट जगत में कंपनियां अपनी पीआर सुधारने के लिए नाना किस्म के काम करती हैं और इन सब को सकारात्मक तरीके से बताने के लिए हर माह लाखों रुपए की तनख्वाह देकर जनसंपर्क विभाग बनाया जाता है। लगता है कोयले की दलाली में सबके हाथ काले की कहावत यूं ही नहीं बनी है और यह कहावत इन दिनों एसईसीएल पर खरी उतरती है। एक समय था जब इसी मिनी रत्न कंपनी में कार्यरत एक जनसंपर्क अधिकारी जिनका नाम पारितोष हुआ करता था । बिलासपुर के साथ दिल्ली, मुंबई, भोपाल, इंदौर, जबलपुर तक के मीडिया जगत को बड़े आराम और हुनर के साथ निभाते थे वे तबीयत से साहित्यकार भाषा के अच्छे जानकार लेखनी पर उनकी अच्छी पकड़ थी लिहाजा सब पढ़ने लिखने वाले पत्रकार उन्हें दादा-दादा कहकर संबोधित करते थे और दादा ने अपने मेजवान होने की भूमिका खूब निभाई सेवानिवृत्ति के पहले ही वीआरएस लेकर उन्होंने स्वयं की एक पत्रिका भी डाली यह सब अतीत की बात है अब कारपोरेट कल्चर है। जनसंपर्क अधिकारी स्वयं को मठाधीश समझते हैं और मठ में मट्ठा डालना अपना काम समझते हैं ऐसा ही फरवरी के प्रथम माह में ही एसईसीएल में हुआ। मिक्सर से जूस निकलता घर की ग्रहणी लक्ष्मी कुछ खुश होती पर ऐसा हो ना सका पूरी राजनीति पूरे समीकरण ध्वस्त हो गए और अंत में पकौड़ा खाकर संतोष कर एक दूसरे को उत्तरदाई ठहराते हुए कलमवीर चलते बने जब माननीय मिश्रा जी की पत्रकार वार्ता समाप्त हुई गोधूलि की बेला शुरू हो गई थी परंपरा में यही कहा जाता था कि अच्छी बारात वही है जो गोधूलि की बेला में लग जाएं।