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मिशन में खुला है निगम का जोन कार्यालय, यह तथ्य क्यों छुपाया गया कोर्ट से

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बिलासपुर, 31 जनवरी 2025। 
क्रिश्चियन वूमेंस बोर्ड आफ मिशन द्वारा नितिन लॉरेंस इन दो दिनों मिशन अस्पताल परिषद के संबंध में जिला प्रशासन द्वारा कलेक्टर, नगर निगम बिलासपुर द्वारा आयुक्त के विरुद्ध न्यायालय लड़ रहे हैं। ये लड़ाई कलेक्टर बिलासपुर आदेश 28.6 और न्यायालय आयुक्त आदेश 30.10 के संबंध में इन दिनों आदेशों के कारण ही सीट नंबर 14, प्लॉट नंबर 20 व 21 की लगभग 12 एकड़ भूमि की प्लीज निरस्त हुई और पूरी भूमि शासन के खाते में दर्ज हुई। 4.1 के पहले ही आयुक्त नगर निगम ने मिशन अस्पताल परिसर को भयप्रद घोषित करते हुए उस पर ताला बंदी की 4.1 के दिन अस्पताल के अंदर की मेडिकल दुकान को अपने कब्जे में लिया और उसी दिन शाम को परिसर के एक अन्य भवन में निगम का जोन 3 का विस्तार कार्यालय खुला पर वूमेंस बोर्ड के पदाधिकारी इस कार्यवाही के विरुद्ध सक्षम न्यायालय में नहीं गए, जबकि यह वाद का बड़ा कारण बनता था। 
8.1 की सुबह नजूल अधिकारी और निगम के संयुक्त कार्यवाही दल ने अस्पताल भवन को तोड़ना प्रारंभ किया। तब वूमेंस बोर्ड ने एक अर्जेंट याचिका उच्च न्यायालय में प्रस्तुत किया। माननीय न्यायालय ने तोड़फोड़ की कार्यवाही तत्काल रोकने का निर्देश दिया और को मामला स्थगन के लिए रखने का अवसर दिया। 9.1 को बहस हुई निगम की ओर से उनके अधिवक्ता और शासन की ओर से डिप्टी एजी ने अपना अपना पक्ष रखा। वूमेंस बोर्ड की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता ने बहस की, बहस की पूरी रिकॉर्डिंग सुनने पर कुछ आश्चर्य जनक तथ्य सामने आते हैं। बहस के दौरान और पिटीशन में कहीं भी यह उल्लेख ही नहीं है कि परिसर में नगर निगम के एक भवन पर कब्जा करके जोन 3 का विस्तार कार्यालय खोल दिया। यह बात निगम के अधिवक्ता ने भी नहीं कही। दूसरा राजस्व एवं आपदा प्रबंधन के सचिव के समक्ष वूमेंस बोर्ड की पुनर अवलोकन याचिका लंबित है, की बात कही गई जिस पर माननीय न्यायालय ने निर्धारित समय अवधि 20 दिन में सुनवाई पूरी करने कहा। शासकीय अधिवक्ता ने 15 दिन में ही सुनवाई पूरी करने की बात कही तभी यह बात भी स्पष्ट हुई की आपदा प्रबंधन के सचिव इस प्रकार के प्रकरणों को सुनने के लिए सप्ताह में एक बार गुरुवार को सुनते हैं। तो यह स्पष्ट है कि 15 कार्य दिवस के भीतर वूमेंस बोर्ड की पुनर अवलोकन याचिका पर सुनवाई पूरी नहीं हो सकती थी। कोर्ट ने डे-टू-डे सुनने की बात नहीं कही थी।
सूत्र बताते हैं कि सचिन के पास कोर्ट के निर्देश के बाद से अब चौथी बार 7.2 के लिए यह मामला नियत है। माननीय उच्च न्यायालय का यह निर्देश की 15 दिन में कार्यवाही पूरी हो जाए कैसे संभव है और वूमेंस बोर्ड न्यायालय से यह तथ्य क्यों छुप गया कि परिसर में निगम का जून 3 का कार्यालय खुला है। यहीं से यह संदेह उठना है कि वूमेंस बोर्ड के पदाधिकारी जो छत्तीसगढ़ डायोसिस के और अन्य संस्थाओं के पावर ऑफ अटॉर्नी होल्डर बनाकर पूरे प्रदेश के विभिन्न न्यायालय में वाद प्रस्तुत कर रहे हैं, और कहीं-कहीं स्थगन भी ले रहे हैं का हाथ इस तरह दबा हुआ है की मिशन की कोर्ट लड़ाई में वूमेंस बोर्ड महत्वपूर्ण तथ्य जिसमें राहत प्राप्त हो सकती है को छुपाता है। 
छत्तीसगढ़ में छत्तीसगढ़ डायोसिस द्वारा संचालित लगभग 19 स्कूलों का संचालन करने वाली संस्था के पदाधिकारीयों के कामकाज पे रोक है, और निर्णय अभी लंबित है। सिविल लाइन थाना रायपुर में लाखों के घपले का एफआईआर लंबित है, पिथौरा की जांच लंबित है, बिलासपुर में बर्जेश स्कूल की जांच पूरी होने के बावजूद कलेक्टर का आदेश 6 महीने से लंबित है। इतने सारे लंबित मामलों के एवज में कुछ तथ्य पर तो चुप रहना ही होगा।