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टंकण त्रुटि कहकर बच नहीं सकते डायोसिस, पूरे तालाब में खुली है भांग

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बिलासपुर, 1 फरवरी 2025। 
महासमुंद के पिथौरा तहसील में छत्तीसगढ़ डायोसिस जॉइंट पावर ऑफ अटॉर्नी के अधिवक्ता ने न्यू सीएनआई के संदर्भ में टंकण त्रुटि मानते हुए उसे सुधार का आवेदन पत्र लगा दिया है। ऐसा माना जा रहा है कि अब यह विवाद शांत हो जाएगा। पर ऐसा नहीं हो सकता सत्र न्यायालय बिलासपुर, सचिव आपदा प्रबंधन छत्तीसगढ़ यहां तक की उच्च न्यायालय छत्तीसगढ़ और नागपुर के महाराष्ट्र उच्च न्यायालय के सामने भी छत्तीसगढ़ डायोसिस की दो पावर ऑफ अटॉर्नी पर प्रश्न चिन्ह उठ रहे हैं। 
समिति के पदाधिकारी इन दिनों दी यूनाइटेड चर्च ऑफ़ नॉर्दर्न इंडिया ट्रस्ट एसोसिएशन जिसे यूसीएनआईटीए कहां जाता है और दी चर्च ऑफ़ नॉर्थ इंडिया ट्रस्ट एसोसिएशन जिसे संक्षिप्त में सीएनआईटीए कहा जाता है की पावर ऑफ अटॉर्नी उपयोग हो रही है। यूसीएनआईटीए का लाइसेंस नंबर डी 97 है। इस पावर ऑफ अटॉर्नी की मियाद 1 साल थी जो 2023 में जारी हुई थी। पावर ऑफ अटॉर्नी पानी वालों का नाम अजय उमेश जेम्स बिशप तत्कालीन और नितिन लॉरेंस सेक्रेटरी को जारी की गई थी। और यही पावर ऑफ अटॉर्नी 2023 में पिथौरा में उपयोग की गई जिस पर स्थगन आदेश जारी हुआ था। इस पावर ऑफ अटॉर्नी को जारी करने का काम संजय सिंह ने किया था संजय सिंह महाराष्ट्र में एक बड़े आर्थिक घोटाले में फंसे हुए थे। उनके द्वारा प्रस्तुत अग्रिम जमानत याचिका 1129/22 के ऑर्डर की कणिका चार में आर्थिक घोटाले की जिस रकम का जिक्र है वह 996000000 है। कोर्ट ने एक एंटीसिपेटरी बेल को खारिज किया था। पावर ऑफ अटॉर्नी अपने वाले पदाधिकारी की कमेटी छत्तीसगढ़ में तदर्थ थी और तदर्थ समिति को पावर ऑफ अटॉर्नी नहीं मिल सकती। इसी तरह दूसरी पावर ऑफ अटॉर्नी जो सीएनआईटीए की ओर से जारी की गई और उसे जारी करने वाले का नाम डीजे अजीत कुमार है। यह स्पेशल पावर ऑफ अटॉर्नी की वैलिडिटी 6 मार्च 2026 को समाप्त होती है। पर 2013 को माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने सीएनआईटीए के वजूद को ही खत्म कर दिया इसकी रिव्यू पिटिशन 2014 में लगाई गई उसमें भी 2013 के आदेश को यथावत रखा गया। ऐसे में इस संस्था द्वारा जारी की गई पावर ऑफ अटॉर्नी की वैधता पर प्रश्न चिन्ह लग जाता है।
छत्तीसगढ़ राज्य के भीतर विभिन्न सरकारी दफ्तरों और माननीय न्यायालय में इन्हीं दो पावर ऑफ अटॉर्नी से या तो केस लगाए जा रहे हैं या फिर प्रकरणों में उपस्थिति दी जा रही है। 
एक टंकण त्रुटि कहकर पिथौरा की बात खत्म नहीं होती छत्तीसगढ़ डायोसिस और उनके पदाधिकारीयों को माननीय सर्वोच्च न्यायालय के आदेश की जानकारी है। यह बात छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय में इसी समाज के विशील ब्लोअर द्वारा दाखिल की गई जनहित याचिका में पक्ष का बनी संस्थाओं और उनके पदाधिकारीयों के द्वारा दिए गए शपथ पत्रों से पता चलता है। ऐसे में पूरे छत्तीसगढ़ में डायोसिस के बड़े आर्थिक घोटाले को न केवल अंजाम देता है। बल्कि लगातार इसका संचालन किया जा रहा है।