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स्थानीय मीडिया की उपेक्षा कर केंद्रीय वि.वि., कुलपति ने ली बड़ी मुसीबत

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बिलासपुर, 31 अगस्त 2023।
यह पहला अवसर नहीं है कि गुरु घसीदास विश्वविद्यालय महामहिम की अगवानी करेगा। पर इस बार विश्वविद्यालय के प्रशासन को मीडिया पर भरोसा नहीं है। संकट का यह दौड़ किसने और कैसे शुरू हुआ। गुरु घसीदास विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह में सबसे पहले राष्ट्रपति ज्ञानी जैल सिंह आए तब भी स्थानीय मीडिया को कार्यक्रम कवर करने का मौका मिला। उसके बाद डॉक्टर एपीजे अब्दुल कलाम आजाद आए स्थानीय मीडिया ने राष्ट्रीय मीडिया के साथ उसे भी कवर किया। फिर गुरु घसीदास विश्वविद्यालय केंद्रीय विश्वविद्यालय बन गया और राष्ट्रपति डॉक्टर कोविंद आए इस दीक्षांत समारोह का कवरेज भी स्थानीय मीडिया कर्मियों ने किया। जब जब दीक्षांत समारोह के कार्यक्रम में महामहिम आए महामहिम आने के पूर्व विश्वविद्यालय के कुलपति ने राष्ट्रपति आगमन के एक दिन पूर्व औपचारिक रूप से पत्रकार वार्ता की पूरे कार्यक्रम का विवरण, प्रोटोकॉल मीडिया को बताया और विश्वविद्यालय की उपलब्धियां से पत्रकारों को अवगत भी कराया इस सब का अर्थ यह है कि स्थानीय मीडिया विश्वविद्यालय के प्रगति में सदैव सकारात्मक भूमिका अदा करता रहा। पर इस बार जब महामहिम आ रहीं है तो केंद्रीय विश्वविद्यालय प्रबंधन का व्यवहार स्थानीय मीडिया के साथ अपेक्षित सहयोग वाला दिखाई नहीं देता जिन स्थानीय अखबारों में महामहिम की आने की खबरें प्रकाशित हो रही है उन खबरों में विश्वविद्यालय की भूमिका नहीं है जबकि इसके पूर्व विश्वविद्यालय प्रशासन स्वयं ही रुचि लेकर अधिक से अधिक समाचार संकलन उपलब्ध कराता था। पर इस बार जैसी राजनीतिक कटुता और मीडिया पर संदेह के बदले विश्वविद्यालय प्रशासन को दिखाई दे रहे हैं वह विश्वविद्यालय के सेहत के लिए ठीक नहीं है। महामहिम कुछ घंटे के लिए विश्वविद्यालय आएंगी और वापस चली जाएगी पर कुलपति महोदय को इसी शहर में विश्वविद्यालय के पद की कुर्सी पर रोज बैठता है और स्थानीय मीडिया से सहयोग लेना और देना है, ऐसे में आने वाला समय विश्वविद्यालय प्रबंधन के लिए कष्ट दायक हो सकता है। और केंद्र का उच्च शिक्षा मंत्रालय उन्हें रक्षा कवच देने रोज उपलब्ध नहीं रहेगा।