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कोचिंग+ स्कूल+ हॉस्टल= स्योर सक्सेस। खुल गई पोल हो गए फेल
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समाचार -
बिलासपुर, 11 मई 2023 । छत्तीसगढ़ का एजुकेशन हब बिलासपुर लाखों की फीस कोचिंग प्लस स्कूल प्लस हॉस्टल बराबर स्योर सक्सेस आप तैयार हैं। केमिस्ट्री गुरु, मैथ गुरु उद्योगपति से लेकर समाजसेवी और शिक्षा विद सब के सब शिक्षा के व्यापारी करण में इस तरह अग्रसर हुए की स्कूली शिक्षा बर्बाद हो गई परिणाम 2023 में हमारे सामने हैं। दसवीं में 40% , 12वीं में 32% छात्र फेल टॉप टेन में बिलासपुर जिला 0 किंतु अभिभावकों के दोहन में बिलासपुर प्रथम हॉस्टल में रात को 12:00 बजे छात्र की स्टम्प तोड़ पढ़ाई मामला थाने में गुरुजी को थाने से जमानत, छात्र ने डरकर छोड़ दिया प्रयास भागकर कहीं और लिया एडमिशन विज्ञापन के लाली पॉप के कारण दैनिक अखबारों में कोचिंग, स्कूल, हॉस्टल के गोरखधंधे की नहीं छपती खबरें।
2023 में जब 10वीं और 12वीं का परीक्षा परिणाम आया तब पता चला कि जिले में हाई स्कूल के 61.43% और हाई सेकेंडरी के 68.2% छात्र ही पास हो पाए। 10वीं परीक्षा में फुल 10695 छात्रों का परिणाम घोषित हुआ। तथा 12263 बालिकाओं का जिसमें से छात्रों में मात्र 1962 तथा बालिकाओं में 3126 प्रथम श्रेणी में पास हुए इसका सीधा अर्थ है कि बालकों की अपेक्षा बालिकाओं ने बेहतर प्रदर्शन किया। 12वीं की परीक्षा में विज्ञान विषय लेकर परीक्षा पास करने वालों का प्रतिशत बेहद कम है छात्रों में मात्र 55% और छात्राओं में 66% पास हुए। इन दिनों कृषि विज्ञान को लेकर बाजार खूब गर्म है पर यहां भी छात्र केवल 49% पास हुए, जबकि बालिकाएं कृषि विषय लेकर 64% पास हुई कुल मिलाकर 10वीं और 12वीं में 40 और 32% छात्र छात्राएं फेल हो गई। अब सवाल आता है प्राइवेट स्कूलों का जहां पर फीस के नाम पर डकैती होती है और जब इस डकैती पर कोई प्राकृतिक आपदा आ न पड़ती है जैसे कोविड तो प्राइवेट स्कूलों के द्वारा फीस वसूली के लिए दायर की गई रीट पीटीसन में निजी स्कूलों के द्वारा संलग्न किए गए दस्तावेज खुद ही बताते हैं कि निजी स्कूल द्वारा ली जा रही फीस कितनी है और स्कूल में दिया जा रहा वेतन उसके तुलना में कितना कम है। परिणाम तो मिलना ही था आज बिलासपुर जिले की कई ऐसी कोचिंग हैं जहां पर डमी स्कूल संचालित किए जाते हैं। यदि पढ़ने वालों को इस बात पर भरोसा ना हो तो वह किसी भी कोचिंग में फोन पर संपर्क करके जानकारी लें कि वे अपने बच्चे को कोचिंग में दाखिला दिलाना चाहते हैं पर स्कूल का टाइम आड़े आता है कोचिंग का कमर्शियल सेक्शन जो कथित रूप से काउंसलिंग करता है तुरंत एक डमी स्कूल बता देगा और कहेगा की मुख्य पढ़ाई तो कोचिंग है क्योंकि मेडिकल, इंजीनियरिंग मे एडमिशन के लिए कोचिंग जरूरी है। और बोर्ड की परीक्षा उसी के दम पर पास हो जाएगी। कुछ साल तो ऐसा चल गया पर प्रतिस्पर्धा परीक्षा उसकी तैयारी उसका प्रश्न पत्र और बोर्ड की तैयारी बोर्ड का प्रश्न पत्र और उसकी उत्तर पुस्तिका दोनों के बीच बहुत अधिक अंतर है। अब इस गोरखधंधे का कटु सत्य बाहर आ रहा है एक समय था जब हम ट्यूशन लेने वाले शिक्षक को और ट्यूशन करने वाले छात्रों को अच्छा नहीं मानते थे तब हमने कोचिंग संस्थानों को कैसे अच्छा मान लिया और कोचिंग संस्थानों को स्कूल से बड़ा मान लिया अब जब मान लिया तो शिक्षा व्यवस्था चौपट हो रही है और छात्र-छात्राएं स्कूली शिक्षा में फिसड्डी 100 में से 10 का प्रतियोगी परीक्षा में प्रवेश और शेष चेहरे लटकाकर कॉलेज की लाइन, याद करें छत्तीसगढ़ में नर्सिंग कॉलेजों में एडमिशन के लिए आयोजित की गई प्रवेश परीक्षा में बेहद कम छात्र ही पास हुए तब नर्सिंग कॉलेज के दबाव में सरकार ने निर्णय लिया जिसने प्रवेश परीक्षा में भाग लिया है वही एडमिशन का पात्र है। इन तौर तरीकों से हम समाज के भीतर किस मानव संसाधन का निर्माण कर रहे हैं। गलतियां सब ओर से हो रही हैं परिणाम पूरा समाज भूगतेगा और धीरे-धीरे बेरोजगारी भत्ता के लिए पात्र छात्र-छात्राओं की संख्या बीपीएल की संख्या इतनी होगी कि हम एक दूषित समाज नहीं रूगुण और भिखारी समाज की रचना कर लेंगे जो लोकतंत्र को समाप्त कर देगी।