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अस्वीकृत लोन आवेदन कर्ताओं से बढ़ रही ठगी की कहानियां
बिलासपुर (24 एचएनबीसी) । व्यक्तिगत ऋण और लोन अगेंस्ट प्रॉपर्टी के अधिकृत प्रकरणों में ऋण मांगने आए बहुतेरे लोग ठगी का शिकार हो जाने के बाद भी चुप रहते हैं। और वे 5 से 10 हजार रुपए की ठगी को अपना भाग्य मान कर चुप हो जाते हैं। ऐसे एक ही नहीं दर्जनों मामले हैं जिन्हें देखकर कहा जा सकता है कि ऐसा भटकाने वाला व्यक्ति सामने वाले की आवश्यकता और माथा देखकर जेब काट लेता है। इस खेल के पीछे आउटसोर्सिंग के युवाओं का हाथ है। सभी लोग जानते हैं कि शहर में बैंकों के अतिरिक्त ऐसे बहुत सी वित्तीय संस्थाएं हैं जो 25 हजार से लाखों रुपए तक का लोन देने का दावा करती है, वह भी सिर्फ आधार कार्ड व पैन कार्ड के दम पर लोन लेने वाले का आवेदन जब एक-दो स्थान से अस्वीकृत हो जाता है , तब आउटसोर्सिंग के ठग ऐसे आवेदन पत्रों के पीछे समझदारी के साथ पड़ जाते हैं वह लोन लेने वाले से किसी वृत्तीय संस्थान के बाहर हाय हेलो करते हैं और ऐसा दावा करते हैं कि वह किसी न किसी वित्तीय संस्थाओं से लोन दिलवा देंगे, किंतु नेगेटिव प्रोफाइल को मैनेज करने के लिए कुछ खर्चा लगेगा जिसे लोन की जरूरत होती है वह आसानी से 500 -1000 रुपए दे देता है । हमारे पास राम नाम के व्यक्ति की पीड़ा भरी कहानी है जो वास्तविक है इसे तेलीपारा स्थित फुल टर्न इंडिया के ऑफिस के बाहर दो आउटसोर्सिंग करने वाले सोमी और कृष्णा नाम के युवकों ने 10 हजार से बकरा बनाया राम ने बताया कि उसे 5 लाख रुपए का लोन चाहिए था और एक दो वृत्तीय संस्थान से उसका आवेदन पत्र अस्वीकृत हो गया था । तब यह दोनों एक वित्तीय संस्थान के बाहर मिले एक ने कहा कि आप कुछ खर्चा दो मैं कहीं ना कहीं से लोन निकलवा दूंगा। यह बात नवंबर के महीने की है राम के बताए अनुसार उसने 500 रुपए पहले दिया था दिवाली के पूर्व लोन निकलवाने के नाम पर 10 हजार रुपए और ले लिया गया किंतु लोन नहीं निकला अब पैसा वापस करने की बात हुई एक बार कुछ पैसा वापस भी किया गया किंतु बाद में कृष्णा नाम के व्यक्ति ने मां बीमार है के नाम पर लगभग 1500 रुपए अकाउंट में वापस लिया और जब पूरे 10 हजार रुपए वापसी की बात हुई तो उसने यह कहा कि मेरे तुम्हारे बीच जो लेनदेन हुआ है वह व्यक्तिगत है लोन दिलाने की कहानी तुम्हारी अपनी गढ़ी हुई है । राम का कहना है कि सामी और कृष्णा जैसे बहुत से आउटसोर्सिंग एजेंट दर्जनों लोगों को इसी तरह बकरा बना देते हैं । जब कभी पैसे की बात करो तो पूरा का पूरा ग्रुप दबाव डालकर उल्टी सीधी बात करता है उसने यह भी बताया कि कई वित्तीय संस्था तो प्रोसेसिंग के नाम पर 3 से 5 हजार तक लेती है और लोन एप्लीकेशन खारिज होने के बाद ना तो दस्तावेज वापस करती है ना ही प्रक्रिया शुल्क वापस होता है ऐसा कहा जा सकता है कि आउटसोर्सिंग वाले को वित्तीय संस्थाएं जो वेतन देती है का पूरा खर्चा अस्वीकृत ऋण प्रकरणों से ही निकल आता है हमने सामी और कृष्णा नाम के व्यक्ति के नंबर पर संपर्क करने की कोशिश की पर ना तो फोन उठाया गया ना ही वापस फोन किया गया।