ठगे जाने पर भी बैंक प्रबंधन नहीं बनता शिकायतकर्ता
करोड़ों की ठगी का आरोपी मात्र 54 लाख के आरोप में जेल दाखिल
- By 24hnbc --
- Tuesday, 22 Dec, 2020
बिलासपुर (24 एचएनबीसी) विनायका होम, विनायका हाइट्स, विनायका बिल्डर फ्लैट दिलाने के नाम पर आरोपी राजेश सेठ पकड़ा गया। बिलासपुर पुलिस करोड़ों की ठगी के मामले को केवल 54 लाख में तब्दील कर रही है । असल में 54 लाख की ठगी केवल फ्लैट बेचने को लेकर है असल खेल तो जमीन के फर्जी दस्तावेज पर 2 बैंकों से लोन लेने का है। इस मामले में बैंक शिकायतकर्ता बनकर सामने नहीं आ रहे हैं, राजेश सेठ और उसकी पत्नी रजनी सेठ का बिलासपुर में व्यवसाय कुछ ही साल पुराना है। दिल्ली से एनजीओ के नाम पर काम करने आए दंपत्ति ने इतनी जल्दी नाम कैसे कमा लिया विनायका हाइट जिस जमीन पर बनाई गई है उसका मूल रजिस्ट्री पेपर केबल 1500 वर्ग फिट का है। 15 सौ स्क्वायर फीट के प्लाट पर 4 मंजिला अपार्टमेंट पास हो ही नहीं सकता, ऐसा करने के पहले राजेश सेठ ने अपनी जमीन के पास में लगी गांव ठान की जमीन पर कब्जा किया। पट्टे की जमीन पर कब्जे के आधार पर रजिस्ट्री हुई किसी स्थानी नेता की शह पर निगम से स्वयं के उपयोग के नाम पर नक्शा पास हो गया। शातिर बिल्डर ने अपार्टमेंट बनाने के पूर्व ही इसी जमीन पर बैंक ऑफ बड़ौदा से एक बड़ी ऋण राशि प्राप्त की साथ में इलाहाबाद बैंक से भी एक लोन प्राप्त किया। सूत्र बताते हैं कि बिल्डर ने व्यापार विहार क्षेत्र के एक जमीन 50 लाख में क्रय की और उसे एक जर्दा व्यापारी को 1 करोड़ 50 लाख में बेचा। पूरे रजिस्ट्री मामले में टैक्स चोरी का एक लंबा मामला बनता है , जिस पर स्थानीय आयकर विभाग को शिकायत भी की गई है और विभाग ने बिल्डर को नोटिस भी जारी किया है। सूत्रों की बात पर भरोसा करें तो इसी बीच बिल्डर ने नगपुरा, धमनी क्षेत्र में अवैध प्लाटिंग का काम भी किया था और कई लाख रुपए बुकिंग एमाउंट लिया था यह जमीन भी इलाहाबाद बैंक में मॉर्गेज रखी गई थी । बैंक ऑफ बड़ौदा ने अपनी रिकवरी के लिए ट्रिब्यूनल में केस दाखिल किया है। असल में ठगी का आरोपी फरार नहीं था वह पिछले कई महीनों से स्थानीय दलालों के मार्फत अपनी निर्विवाद जमीन को बेचकर लोगों का पैसा चुका था। और अंत में यहां से पैसा बटोर कर भागने के फिराक में था । गाजियाबाद से उसकी गिरफ्तारी महज संयोग है। लोगों का कहना है कि पुलिस की टीम दिल्ली मेडिकल कॉलेज फर्जी दाखिले के संबंध में गई हुई थी। और अभी भी वहां पर डेरा डाल कर आई है असल में मेडिकल कॉलेज फर्जी दाखिला की एफ आई आर के पीछे भी राजनैतिक दबाव काम कर रहा है इस प्रकरण में मामला जितना एफ आई आर में बताया जा रहा है से ज्यादा है।