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केवल वीडियो देखकर गिरफ्तारी न करें, पुराने रिकॉर्ड से मिलान भी करें

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बिलासपुर, 12 जून 2024। 
मोदी जी के शपथ लेने के एक सप्ताह के भीतर देश में जहां-जहां बड़े कांड हुए उसमें छत्तीसगढ़ का बलौदा बाजार जिला का नाम जुड़ गया। राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय स्तर पर छत्तीसगढ़ में हिंसा, नक्सलवाद से जुड़ी रही पहचान भी रखती है। बलौदा बाजार की घटना ने इस भ्रम को तोड़ दिया। बड़ी घटना के बाद सरकार मंत्री, आईएएस, आईपीएस हरकत में है न्यायिक जांच का आदेश हो गया है। सरकारी बिल्डिंग को जिस तरह आग में झोंका गया यह अनायास होने वाली घटना नहीं है।
छत्तीसगढ़ बने 23 साल से अधिक हो गया एससी राजनीति समकालीन तनाव पर चाहे तो पूरा शोध किया जा सकता है। लोक प्रशासनिक का अध्ययन करने वालों को इसे समझना चाहिए। बलौदा बाजार प्रशासन घटना के वीडियो देख देख कर गिरफ्तारी कर रहा है। इसके साथ ही एससी समाज के पिछले तीन साल से धरना प्रदर्शनों का तुलनात्मक मिलान किया जाना चाहिए। पता चल जाएगा की कौन से चेहरे कामन है।
कांग्रेस शासन के दौरान उत्तरार्ध में कई आंदोलन हुए शहर के सिविल लाइन थाने में मुख्यमंत्री का नाम लेकर मुर्दाबाद का नारा लगा सब तथ्य रिकॉर्ड में उपलब्ध हैं। राजधानी रायपुर में कुछ युवा निर्वस्त्र प्रदर्शन कर रहे थे रिकॉर्ड उपलब्ध है। चुनाव के वक्त दल बदलू नेताओं का भी अध्ययन हो जो अपने नातेदारी में टिकट तो दिल लिए मंत्री पद से दूर हो गए। 
2001 जब अजीत जोगी को छत्तीसगढ़ राज्य की कमान मिली तब वह एसटी और एससी दोनों वर्ग का शानदार प्रतिनिधित्व करते थे। 2003 की सत्ता परिवर्तन में वोटो का ध्रुवीकरण सामान्य रूप से किया गया। भारतीय जनता पार्टी की सरकार बनी डॉ रमन को सीएम पद मिला उन्होंने संस्कारी तरीके से मस्तूरी के विधायक डॉक्टर को न केवल मंत्री पद दिया बल्कि इस समाज की अगुवाई का मौका भी दिया। वह कहां तक सफल रहे वह अलग बात है। बाद में यही भूमिका मुंगेली के विधायक कई बार रहे सांसद के हिस्से आ गई। तीन बार लगातार सत्ता में रही जब भारी तब भी वोट का ध्रुवीकरण जाति आधार पर नहीं हुआ। 2018 से 2023 की राजनीति में सत्ता परिवर्तन के तौर तरीके अलग थे छत्तीसगढ़ भी उन राज्यों में शामिल हो गया जहां राहुल गांधी का यह नारा नफरत के बाजार में मोहब्बत की दुकान लागू है किसने मिट्टी तेल छिड़का और किसके हाथ में है माचिस इसे समझना आसान है। पर दवा, औषधि, मरहम लगाना कठिन है। कांग्रेस विपक्ष में है और उसकी भी बड़ी भूमिका है यही समय है जब पार्टी इस समाज के उन नेताओं से मुक्ति पाए जिन्हें जनता ने नकार दिया और ऐसे युवा चेहरों को आगे ले जो ध्रुवीकरण की राजनीति नहीं करें।