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एसईसीआर का भला न राम न जगन्नाथ

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बिलासपुर, 11 जून 2024। 
लंबी दूरी की ऐसी ट्रेन जिसका अंतिम पड़ाव बिलासपुर होता है के समय पर बिलासपुर पहुंचने की संभावना हमेशा नकारात्मक होती है। इसमें दो ट्रेन विशेष रूप से उल्लेखनीय हैं एक इंदौर से आने वाली नर्मदा एक्सप्रेस और दूसरी अमृतसर से आने वाली छत्तीसगढ़ एक्सप्रेस। इंदौर बिलासपुर, नर्मदा एक्सप्रेस सुबह जबलपुर स्टेशन समय पर पहुंचती है और कटनी तक उसकी चाल सामान्य होती है तत्पश्चात् लेट होना प्रारंभ करती है। पेंड्रा रोड के बाद इस ट्रेन का जगन्नाथ भी भला नहीं कर सकते।
उसलापुर से बिलासपुर की दूरी 2 घंटे में पूरी होती है यात्रियों के साथ जुल्म का कोई हिसाब नहीं एक 3 टियर हो या 2 टियर यात्रियों से उनके चादर और तकिये भी इस कुटिलता पूर्वक ले लिए जाते हैं की समझने वाला ही इसे समझेगा। बोगी में एसी के तापमान को बढ़ा दिया जाता है ठंड कम होती है और यात्री अपने चादरों को छोड़ देते हैं। बिलासपुर स्टेशन पहुंचने के बहुत पहले ही एसी अटेंडर का काम पूरा हो जाता है। इंदौर से चलने के साथ ही हर बर्थ पर एक पैकेट रख दिया जाता है हर यात्री n2n की यात्रा नहीं करता पर एक बार जो पैकेट बाहर आ गया दूसरा पैकेट नए यात्री को नहीं मिल सकता। दोनों ट्रेनों में एसी अटेंडर जम कर कोरियर बॉय का काम करते हैं। यहां तक संदिग्ध वस्तु की डिलीवरी भी इस माध्यम से संभव है। शराब ऑन डिमांड सामान्य बात है अब तो चिल्ड बीयर भी एसी अटेंडर उपलब्ध करा रहे हैं।
उसलापुर और दगोरी पहुंचते ही ऐप पर ट्रेन बिलासपुर पहुंच गई है दिखाई देती है जबकि उसे 2 घंटे लगते हैं। यदि इन 2 घंटे का हिसाब पति ने पत्नी को और पत्नी ने पति को, लड़के ने आप को और लड़की ने मां को नहीं दिया तो चरित्रहनन के आप की बौछार घर पहुंचने के साथ ही इंतजार करती है। धन्य है विकसित भारत का एसईसीआर जोन जिसका भला जगन्नाथ जी भी नहीं कर सकते।