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बलौदाबाजार की हिंसा छत्तीसगढ़ में दे रही है बड़ा राजनीतिक संकेत

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बिलासपुर, 10 जून 2024।
आग लगाकर तमाशा देखना जिनकी परंपरा है उन्हें अब अपनी गलती का एहसास हो जाना चाहिए। बलौदाबाजार जिले में आज जिला कलेक्टर कार्यालय और पुलिस अधीक्षक कार्यालय को जिस तरह से आतंक का निशाना बनाया गया है उससे सबको सीख लेने की जरूरत है। लगभग 20 दिन पूर्व बलौदाबाजार के गिरोधपुरी महकोनी गांव में संत अमर दास की तपोभूमि है। यहां पर समाज के प्रतीक चिन्ह के साथ छेड़खानी हुई थी तभी से समाज के सैकड़ो लोग धरना प्रदर्शन कर रहे थे वे प्रतीक चिन्ह के साथ की गई छेड़खानी के दोषियों पर कड़ी कार्यवाही का मांग कर रहे थे। 
राज्य सरकार के उपमुख्यमंत्री में न्यायिक जांच के आदेश दिए हैं। पर यह बात किसी जांच से पता नहीं चलने वाली की शांति का राज्य छत्तीसगढ़ नक्सली हिंसा के अतिरिक्त अब सांप्रदायिक हिंसा का केंद्र बिंदु क्यों बन रहा है। समाज के विभिन्न वर्गों को कौन उलझा रहा है। यह क्रम लगभग 3 साल पहले ही शुरू हो गया था पहले कवर्धा फिर बेमेतरा दोनों की आड़ में जमकर रोटी से की गई और अब लोकसभा चुनाव के परिणाम आते ही बलौदाबाजार की यह हिंसा जिसमें उपद्रवियों ने सीधे जिला प्रशासन के मुखिया, मुख्यालय पर ही अपनी नाराजगी निकाली। छत्तीसगढ़ के सभी प्रमुख नेताओं को यह समझ लेना चाहिए की राजनीति में हिंसा से दूर रहे।
 
( समाचार संकलन प्रतिनिधि बलौदाबाजार  )