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शहर कोई भी हो भू माफिया की कहानी एक सी है

 

 

 

इंदौर   वर्तमान में खजराना की अली कॉलोनी में रहने वाला छब्बू उर्फ साबिर पहले पुताई (पेंटर) का काम करता था। शुरुआत में दीवारें पोतीं और बाद में मकानों में रंगाई-पुताई करने लगा। बब्बू उर्फ सुल्तान तो मालवा मील क्षेत्र में कपड़े की सिलाई का काम करता था। धीरे-धीरे खजराना क्षेत्र में पट्टे की जमीनों की दलाली शुरू की और पैसा आने लगा। कम मेहनत में लाखों की कमाई से लालच बढ़ता गया और न्यायनगर, राधिकाकुंज, खजराना, बड़ला क्षेत्र में नोटरी की जमीनों में हाथ डालना शुरू किया। दोनों को बॉबी छाबड़ा, कुक्की, चिराग शाह जैसे माफियाओं का सहयोग मिला और फिर वे लक्जरी कारों में घूमने लगे। अली कॉलोनी में आलीशान बंगले व कोठियां बना लीं।। भूमाफिया छब्बू उर्फ साबिर और बब्बू उर्फ सुल्तान की जिन आलीशान कोठियों पर बुधवार को सुबह नगर निगम के बुलडोजर और हथोड़े चले हैं। ये दोनों कुछ समय पहले तक टापरीनुमा घरों में रहते थे। नेताओं और अफसरों की मदद से अवैध जमीनों के धंधे में उतरे और रातों-रात करोड़ों के मालिक बन गए। दोनों ने बड़े बिल्डर व कारोबारियों से हाथ मिलाया और बायपास, खजराना की बड़ी टाउनशिप में निवेश करना शुरू कर दिया। माफिया अभियान में नेता व अफसर के जरिए दोनों तोड़फोड़ की सूची से नाम कटवाते गए।दोनों ही माफियाओं पर मारपीट, चोरी, हत्या, हत्या की कोशिश के एक दर्जन से ज्यादा अपराध है। वर्ष 2016 में शूटर शहजाद लाला हत्याकांड में नाम आने के बाद तत्कालीन डीआइजी संतोषसिंह ने षड्यंत्र का आरोपित बना दिया। दोनों की गिरफ्तारी की और पैर भी तोड़ दिए। कुछ समय बाद डीआइजी का तबादला हो गया और दोनों माफिया उसी तेजी से आगे बढ़े। एएसपी, एसडीओपी स्तर के लोगों ने इनकी जमीनों में निवेश करना शुरू कर दिया। कमलनाथ सरकार में तत्कालीन डीआइजी रुचिवर्धन मिश्र ने न्याय नगर जमीन घोटाले में दोनों को मुलजिम बना दिया। बब्बू की गिरफ्तारी हो गई लेकिन छब्बू भोपाल में प्यारे मियां की शरण में चला गया। पूर्व मंत्री से मिलकर केस में खात्मा लगवा दिया