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जिस तरह पेशाब के छीटे उस रोज हमारे चेहरे पर पड़े थे आज हमें नग्न कर दिया गया
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बिलासपुर, 20 जुलाई 2023 । जब देश के नागरिकों को धर्म की अफीम चटा षड्यंत्र के साथ मानसिक रूप से नग्न कर दिया जाता है तो वहां सड़क पर देह से स्वयं वस्त्र उतारना और बलपूर्वक किसी अन्य के वस्त्र उतार देना दोनों संभव है। छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में फर्जी जाति प्रमाण पत्र के खिलाफ आंदोलन का एक घटिया स्वरूप किसी की सह पर दिखाई दिया कुछ आदमी स्वयं नंगे होकर उसे अपना लोकतांत्रिक अधिकार बताते हुए दौड़ पड़े। पर सरकार ने इंटरनेट बाधित नहीं किया तभी तो उन षड्यंत्रकारियों का नंगा होकर दौड़ना समाज को तुरंत दिखा और छत्तीसगढ़ की राजधानी से हजारों किलोमीटर दूर मणिपुर इंफाल से 34 किलोमीटर दूर 4 मई को ऐसे ही वहशी आदमियों ने पुलिस के संरक्षण में चल रही कुछ महिलाओं को घेर लिया उनके कपड़े फाड़ डाले पूरा निर्वस्त्र कर दिया और उसके बाद उनसे सामूहिक बलात्कार भी किया तब सरकार का एक हथियार इंटरनेट बंद था अतः शेष दुनिया को यह वहशी घटना 19 जुलाई को तब पता चली जब सोशल मीडिया पर 4 मई 2023 की वह घटना वायरल हुई। इसे आजादी का अमृत काल कहे क्या सरकार वह भी डबल इंजन की। कौन है नहीं जान रहा मणिपुर में जातीय हिंसा का दौर चल रहा है और अब तो यह स्पष्ट है कि इसके पीछे मूल कारणों में क्या-क्या है। इसलिए लिखना भी स्पष्ट होगा कि जिन महिलाओं के साथ यह बर्बार, शर्मनाक के कृत हुआ वह ईसाई समुदाय के थी और जो आदमी इस घृणित कार्य को कर रहे थे वे मैतई समुदाय के हैं। 4 मई की घटना पुलिस ने 18 मई को एफआईआर किया और घटना उजागर होने का तारीख 19 जुलाई है अभी भी पुलिस ने स्पष्ट कहा है आरोपी अननोन है तो जो वीडियो वायरल हो रहा है उसे से ही इंकार कर दीजिए जब किसी भी मामले में वीडियो के आधार पर गिरफ्तारी होती है तो आरोपियों को वीडियो से पहचानना जांच एजेंसियों के लिए मिनटों का काम है जहां गिरफ्तारी नहीं करनी है वहां पर वीडियो देख कर आरोपियों को अननोन कह देना पुलिस का रवैया है। इस घटना में केवल एक महिला के साथ सामूहिक बलात्कार ही नहीं हुआ उसे बचाने के लिए सामने आए उसके भाई की हत्या भी कर दी गई। 2002 की परंपरा के अनुसार इसे कुछ राजनीतिक बेशर्मी के साथ क्रिया की प्रतिक्रिया कह देंगे बता देंगे चुरा चांदपुर में जो हुआ उसकी प्रतिक्रिया बी- फिमौग में हुई। 4 मई से 19 जून 75 दिन का अंतराल है कल्पना करें आज हम जिस समाज को ग्लोबल विलेज कहते हैं वहां पर कुछ महिलाओं को नंगा करके घुमाया जाता है उनके शारीरिक अंगों को बलात दबाया जाता है फिर बलात्कार किया जाता है घटना का वीडियो बन जाता है और 75 दिन बाद हम उन्हें जिन्हें कथित रूप से सभ्य समाज कहा जाता है को पता चलता है क्या मणिपुर में सरकार नाम की कोई चीज है, यह प्रश्न ही नहीं उठता सरकार की एजेंसी खुफिया तंत्र अपने अधिकारी से लेकर मंत्रीमंडल तक को और राज्य की सरकार यदि डबल इंजन की है तो अपने बड़े इंजन को बताती है ऐसे में इंफाल से लेकर दिल्ली तक जितने भी उत्तरदाई अधिकारी और मंत्री यहां तक कि चौकीदार को यह घटना पता नहीं थी इस पर अब भरोसा नहीं होता सत्ता है भक्त हैं कह देंगे कि घटना का वीडियो टाइमिंग के साथ षडयंत्र पूर्वक लोकसभा सत्र शुरू होने के पूर्व जारी किया जा रहा है और यह सनातन संस्कृति के खिलाफ है मियां लोगों का षड्यंत्र है जब एक प्रदेश का मुख्यमंत्री महंगाई के लिए मियां को जिम्मेदार बता दे, तब किसी भी घटना के लिए किसी एक को उत्तरदाई ठहरा देना और धर्म की अफीम चाट चुके लोगों द्वारा उसे स्वीकार कर लेना कोई बड़ी बात नहीं है। जिस देश में कथावाचक स्त्रियों को प्लाट की संज्ञा देते हो और आभूषण को रजिस्ट्री का सिंबॉल बताते हो वहां पर इस तरह की घटना पुरुष सत्तात्मक समाज का परिणाम है। जहां पर प्रभुत्व का प्रदर्शन मूत्र विसर्जन से होता हो स्त्री को प्लाट बताया जाता हो कपड़ा उतार कर दौड़ने को विरोध प्रदर्शन का तरीका माना जाता हो वहां पर एक समुदाय के पुरुष किसी अन्य समुदाय के महिलाओं का वस्त्र उतार दें उनके साथ दरिंदगी करें तब शेष समाज के लिए यह घटना पानी का सिर से ऊपर बहने के समान है और आरोपियों के साथ है ऐसे मामलों में कोई भी लोकलुभावन दंड का दिखावा सत्ता ना करें जैसी गलतियां पूर्व में कई जगह की गई है।