No icon

24hnbc

पेट्रोल के साथ अब तो फैला दी है "गैस"

24hnbc.com
बिलासपुर, 26 अगस्त 2013। 
गली से लेकर मुख्य मार्ग तक और मुख्य मार्ग से लेकर राष्ट्रीय राज्य मार्ग 4 लेन से लेकर 6 लेन, मजरा टोला, कॉलोनी, रैली, माॅल, मल्टी स्क्रीन, सरकारी दफ्तर, स्कूल सब तरफ मिट्टी तेल/पेट्रोल छिड़कना पुरानी बात है। तीसरी पाली में तो गैस फैलाई जा रही है। तीली जले तो मरना न जले तो इन्हेल करके मारना।
 केंद्र के गृह मंत्री छत्तीसगढ़ में थे, पत्रकार वार्ता भी की खुलकर प्रश्न पूछना स्वयं कहा पर सब जानते हैं पूछेगा कोई नहीं जो पूछेगा चिन्हांकित होगा। मंत्री महोदय ने स्वयं माना छत्तीसगढ़ में गांजे की खपत राष्ट्रीय स्तर से ज्यादा है। जिस राज्य में पूर्व भाजपाई मंत्री गांजा सेवन का समर्थन करते हो वहां इसकी खपत बढ़ाना कोई बड़ी बात नहीं, पर जब रोक लगाने वाले इसे कमाई का जरिया बना ले तो अन्य अपराध यहां तक की सामूहिक दुष्कर्म में भी बढ़ाते हैं। संविधान खतरे में है केवल इसलिए नहीं की जातिगत जनगणना नहीं हो पा रही है, पूरा समाज इसलिए भी खतरे में है की वैज्ञानिक सोच को धर्म की अफीम वेदों की ओर चलो जैसे नारे लगाकर खत्म किया जा रहा है। सरकारी स्कूलों में राष्ट्रीय पर्व के दिन अंधविश्वास फैलाने वाले सांस्कृतिक कार्यक्रम कर दिए जाते हैं। यह हिम्मत कहां से आती है....?
 जब एक प्रदेश का मुखिया जन्माष्टमी त्योहार हर जेल में (कारागार) थाने में मनाया जाएगा, तैयारी रखिए धनतेरस में लक्ष्मी पूजा हर बैंक में मनाई जाएगी। शस्त्र पूजा रक्षित केंद्र से लेकर आयुध निर्माणी तक होगी। ऐसे में वैज्ञानिक सोच क्यों निर्मित हो करना ही नहीं है। धनाढ्य रंग विशेष के सत्ताधीश अपने बच्चों को दक्षिण एशिया के बाहर पढ़ लेंगे। आप धर्म की अफीम चाट कर चमत्कार की विश्वास में पड़े रहिए। 
छत्तीसगढ़ के कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष ने दो बातें कही पहले बलौदाबाजार प्रकरण के बाद कांग्रेस के नेता अपना नार्को टेस्ट करने को तैयार हैं भाजपा नेताओं का भी नार्को टेस्ट हो जाए। कल ही बिलासपुर के मेडिकल कॉलेज ऑडिटोरियम में हिंदू धर्म... चुनौतियां और संभावनाएं विषय पर उच्चतम न्यायालय के वरिष्ठ अधिवक्ता का व्याख्यान था। याद करने लायक बात है इसी तरह डॉक्टर प्रवीण तोगड़िया और कुछ अन्य चेहरों को बड़े स्तर पर उपयोग किया गया। डॉक्टर साहब के दुर्लभ मस्तिष्क का उपयोग करने के बाद क्या हाल हुआ कुछ लोग जानते हैं। हिंदू धर्म के सामने सबसे बड़ी चुनौती यही है कि एक एजेंडा के तहत वैज्ञानिक सोच को समाप्त किया जा रहा है। लिखकर रखिए वह दिन दूर नहीं जब पथ संचलन का प्रारंभ कलेक्ट्रेट परिसर से होगा और समापन न्यायालय परिसर में होगा। बीच में जलपान की व्यवस्था रक्षित केंद्र पर होगी।