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ईसाई समाज की शैक्षणिक संस्थाओं और चर्च का संचालन करने वाली समितियां और उसके पदाधिकारी सरकार को कर रह

कभी पीआईएल तो कभी रिट के माध्यम से विधि शून्य संस्था को कैसे बताया जा रहा वैध

24hnbc.com
बिलासपुर, 26 नवंबर 2024। 
देश की सर्वोच्च की अदालत में पहली बार वर्ष 30 सितंबर 2013 में सीएनआई सहित 6 चर्च के विलय को विधि शुन्य घोषित किया था। फिर 2024 में एक बार फिर से अपने पुराने निर्णय को ही विधि सम्मत मानते हुए सीएनआई द्वारा दाखिल की गई याचिकाओं को खारिज कर दी, इस तरह सीएनआई जो अब मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र और छत्तीसगढ़ में स्वयं को वैद्य बताते हैं असल में वे सुप्रीम कोर्ट की अब मानना कर रहे हैं। 
ऐसी संस्थाओं को तब और बल मिल जाता है जब इन तथ्यों को न मानते हुए अलग-अलग प्रदेशों में सीएनआई को पार्टी बनाकर उन पर वित्तीय अनियमितता का आरोप लगाते हैं। ऐसी ही एक पीआईएल नंबर 71, 2016 छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट में प्रस्तुत की गई जिसमें छत्तीसगढ़ के मुख्य सचिव शिक्षा के साथ सीएनआई बोर्ड आफ एजुकेशन नॉर्थ इंडिया जबलपुर डायोसिस, बोर्ड का सेकेंडरी एजुकेशन एंड टीचर्स ट्रेंनिंग मध्य प्रदेश, सीएनआई छत्तीसगढ़ डायोसिस बोर्ड आफ एजुकेशन चर्च नॉर्थ इंडिया रायपुर के साथ छत्तीसगढ़ के 11 उन स्कूलों को पार्टी बनाया गया जिसका संचालन या तो जबलपुर डायोसिस से होता है या तो छत्तीसगढ़ डायोसिस से और यह दोनों डायोसिस समिति रजिस्टर्ड अंडर दि सोसाइटी एक्ट 1860 के तहत पंजीकृत है। 
इस पीआईएल में दो बार आदेश जारी हुआ एक बार अंतरिम, एक फाइनल इसके बाद रजिस्टर फॉर्म और संस्था छत्तीसगढ़ ने छत्तीसगढ़ डायोसिस बोर्ड ऑफ़ एजुकेशन रायपुर जो की एक पंजीकृत संस्था है। के खिलाफ जांच समिति गठित की इस जांच समिति में उपरजिस्टार आर.आर. भानु, सहायक रजिस्टर प्रमोद कुजूर, सहायक रजिस्टर ज्ञान प्रकाश साहू जांच समिति में 30. 5. 2023 को जांच प्रतिवेदन प्रस्तुत किया और छत्तीसगढ़ में इसके द्वारा संचालित 11 स्कूल में लंबी चौड़ी लाखों रुपए की अनियमित पाई गई। समिति में समय-समय में पदस्थ पदाधिकारीयों का स्कूल के प्राचार्य का नाम का उल्लेख है। 
यह भी पाया गया कि गलत तरीके से क्रिसमस गिफ्ट, पेट्रोल भत्ता, विदाई समारोह में राशि खर्च की गई। राशि के हस्तांतरण संबंधी प्रावधान स्पष्ट नहीं पाए गए अर्थात स्कूल से चर्च को जो राशि ट्रांसफर हुई वह संदेश के दायरे में है। देशभर की अदालतों से और अंत में देश की सर्वोच्च अदालत से जिन संस्थाओं की वैधता को विधि शुन्य कर दिया गया है। उन्हीं की जांच राज्य सरकार की एजेंसी या कैसे करती है।