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मिशन का पदाधिकारी नितिन लॉरेंस पृथक-पृथक पिटीशन में अपना पद नाम क्यों बदलता है
- By 24hnbc --
- Monday, 11 Nov, 2024
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बिलासपुर, 12 नवंबर 2024।
बिलासपुर मिशन अस्पताल के लीज निरस्तीकरण के प्रकरण में डायोसिस ऑफ़ छत्तीसगढ़ (सीएनआई) के पदाधिकारी नितिन लॉरेंस के द्वारा विभिन्न न्यायालय में अपने पद को बार-बार बदल दिया जाता है। तकनीकी रूप से वे इन पदों पर पावर ऑफ अटॉर्नी के द्वारा नियुक्त हुए हैं जिसकी तारीख 5 मार्च 2024 है।
मिशन अस्पताल लीज प्रकरण में कलेक्टर का पहला आदेश 26 जून 2024 का है। इस प्रकरण में आवेदक डायरेक्टर मिशन अस्पताल रमन जोगी के नाम का जिक्र है। लीज नवीनीकरण का मूल आवेदन इन्हीं के द्वारा प्रस्तुत हुआ। 28 जून के आवेदन के बाद हाई कोर्ट में प्रस्तुत डब्ल्यूपीसी नम्बर 2675-2024 में पीटीशनर नंबर 1 यूसीएनआईटीए सेक्रेटरी नितिन लॉरेंस डायोसिस ऑफ़ छत्तीसगढ़ (सीएनआई) और दूसरा पीटीशनर सीडब्लूबीएम डायरेक्टर रमन जोगी है। इसके बाद जब मामला कमिश्नर कोर्ट में पहुंचा तो नितिन लॉरेंस ने स्वयं को आम मुख्तियार सीडब्लूबीएम बताया। कमिश्नर कोर्ट का आदेश 30 अक्टूबर 2024 के बाद जब यह मामला फिर से हाई कोर्ट पहुंचा। डब्ल्यूपीसी 5549-2024 में नितिन लॉरेंस ने स्वयं को सीडब्लूबीएम का डायरेक्टर और सीएनआई का सेक्रेटरी बताया। नितिन लॉरेंस द्वारा कमिश्नर कोर्ट में प्रस्तुत की गई याचिका में अनावेदक नजूल अधिकारी ने अपने लिखित तर्क में ही स्पष्ट किया है।
आवेदन पत्र की कनिका एक अर्थात आम मुख्तियार एवं सचिव नितिन लॉरेंस पुणे असत्य होने से अस्वीकार है। प्रश्न उठता है कि 5 मार्च 2024 में जो पावर ऑफ अटॉर्नी दी गई है उसमें नितिन लॉरेंस और जयदीप रॉबिंसन को संयुक्त रूप से यह पावर ऑफ अटॉर्नी प्रदान की गई यह स्पेशल पावर ऑफ अटॉर्नी है। ऐसे में संस्था की पदाधिकारी विभिन्न न्यायालयों में मन माफिक तरीके से अपने पद नाम कैसे बदल सकते हैं। क्या पीठासीन अधिकारी ने पीटीशनर के इस व्यवहार की अनदेखी कर दी यह साधारण चूक नहीं है। यदि इस प्रकरण में इस अनियमितता को विधि का प्रश्न बना दिया जाए तो इसे पीटीशनर की सोची समझी साजिश भी पाया जा सकता है। जो न्यायालय से राहत प्राप्त करने के लिए की गई है। 5 मार्च की स्पेशल पावर ऑफ अटॉर्नी में केवल तीन संपत्तियों की देखभाल का उल्लेख भी है।