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नजूल सीट नंबर 1 करोड़ का काला धन, आयकर विभाग क्यों नहीं लेता संज्ञान

बिलासपुर, 16 अक्टूबर 2024। 
नजर से नंबर 1, प्लॉट नंबर 2-3 में कुल मिलकर भू स्वामी भूपेंद्र तमस्कर पिता कृष्णा राव तमस्कर निवासी चांटापारा के नाम पर 92920 स्क्वायर फीट जमीन है, और यह लीज की जमीन है। तहसीलदार नजूल ने कलेक्टर के निर्देश पर सिविल लाइन थाने में इस जमीन को 54 टुकड़ों में बगैर किसी सक्षम अनुज्ञा के निजी संपत्ति लिखकर बचने के विरुद्ध प्राथमिक दर्ज कराई। भूपेंद्र तमस्कर और राजेश कुमार अग्रवाल निवासी अग्रसेन भवन के पास जूनी लाइन के विरुद्ध 420, 34 का अपराध दर्ज हुआ है। 
बिलासपुर कलेक्टर जिस तरह अवैध प्लाटिंग के खिलाफ सख्त कार्रवाई कर रहे हैं वह सराहनीय है। चांटापारा घोषित रूप से आरएसएस के फॉलोअर का गढ़ है। तमस्कर और राजेश अग्रवाल के मध्य एफआईआर के अनुसार 10 अक्टूबर 2020 को इकरारनामा हुआ। भू स्वामी ने अपनी जमीन 13 करोड़ में बिक्री करना स्वीकार किया। सूत्र बताते हैं कि यह अवैध प्लाटिंग 2700 रुपए स्क्वायर फीट की दर पर बेची गई। प्लांट का कोई भी टुकड़ा 1200 स्क्वायर फीट से काम का नहीं है। ऑनलाइन संधारण खसरा के आदेश ने इस टुकड़े की रजिस्ट्री को आसान बना दिया है। इस प्रकरण में उल्लेखनीय बात यह है कि 54 रजिस्ट्री में से आधे का नामांतरण नहीं हुआ, नामांतरण प्रकरण खारिज कर दिए गए जो नामांतरण हुए हैं वे भी कैसे हो गए किसी दबाव में हुए उसकी अलग कहानी है। मौके पर एक मकान भी बन रहा है जानकारी लेने पर पता चला कि क्रेता लोक सेवा केंद्र का जिम्मेदार व्यक्ति है। शायद उसे विश्वास रहा होगा कि वह अवैध कॉलोनी के टुकड़े को मैनेज कर लेगा। 
2700 रुपया स्क्वायर फीट प्लाट भी 32 लाख का होता है। यह संभव ही नहीं की बगैर बैंक लोन के इस अवैध कॉलोनी में प्लाटों की बिक्री हो गई हो। इस तरह अब बैंक का करोड़ों रुपए भी इस कॉलोनी में फंस गया है। आज नहीं तो कल कोई न कोई रजिस्ट्रीकर्ता जब बैंक डिफाल्ट होगा तब यह घोटाला फिर से बाहर निकलेगा। वैसे 13 करोड़ में कुल जमीन खरीदी गई अर्थ यह हुआ कि प्रति स्क्वायर फीट की दर या 1413 होती है। और बिक्री मूल्य 2700 रुपए है इस दोनों का अंतर 1287 रुपए आता है। 287 रुपया डेवलपमेंट कॉस्ट निकल भी दिया जाए तो न्यूनतम₹1000 प्रति स्क्वायर फीट दो नंबर का धन इस खेल में जनरेट हुआ। मोटे तौर पर काम से कम 7 करोड रुपए दो नंबर का खेल है। ऐसे में आयकर विभाग को भी संज्ञान लेना चाहिए और भू स्वामी क्रेता 54 रजिस्ट्री में एक चर्चित दलाल के खातों की जांच होनी चाहिए। 
बिलासपुर में जमीन घोटाले शहर का डीएनए बन गए और इनका शुद्धिकरण बेहद जरूरी है। सरकार चाहे किसी राजनीतिक दल की हो जमीन के दलाल और सब कुछ बुझते हुए जमीन बेचने वाला निर्दोष तो नहीं कहा जा सकता।