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प्राथमिक सदस्यता से निलंबन के बाद मेयर के पास क्या है विकल्प

पीसीसी ने किया डैमेज कंट्रोल या बढ़ा दिया

24hnbc.com
बिलासपुर, 10 नवंबर 2023।
9 नवंबर को पीसीसी के एक पदाधिकारी ने बिलासपुर महापौर रामशरण यादव को पार्टी विरोधी कार्य के लिए नोटिस दिया 24 घंटे के भीतर जवाब मांगा..... बिलासपुर महापौर ने जैसे ही नोटिस का जवाब दिया पार्टी ने उन्हें प्राथमिक सदस्य से निलंबित कर दिया। स्वाभाविक प्रश्न है कि बिलासपुर महापौर रामशरण के पास विकल्प क्या है। और कांग्रेस के पार्षदों के पास नया महापौर चुनने की खुशखबरी है या नहीं क्योंकि इस मामले में दल बदल कानून लागू नहीं होता इसलिए महापौर का पार्षद पद बरकरार रहेगा। यहां पर एक सवाल यह जरूर उठना है कि जब उन्होंने पार्षद का चुनाव लड़ा और जीते तो उन्हें पार्टी सिंबाल प्राप्त था। अब पार्टी से निलंबित है तो जवाब यह है कि नैतिक आधार पर यदि पार्षद पद से वह इस्तीफा दे दे तभी पद चल देगा। अन्यथा नहीं महापौर पद से यदि वह इस्तीफा नहीं देते हैं तो कांग्रेस पार्षद दल अपनी बैठक बुलाकर अविश्वास प्रस्ताव ला सकता है। और वैसी स्थिति में निर्णय सामान्य सभा में होगा।
पीसीसी के निलंबन आदेश के खिलाफ प्राथमिक सदस्यता बचाने के लिए आईसीसी के पास अपील करने का विकल्प निलंबित सदस्य को है। अतः रामशरण के पास भी यह विकल्प है याद करें कांग्रेस हाई कमान ने अजीत जोगी को इसी तरह निलंबित कर दिया था फिर लोकसभा चुनाव लड़ने के लिए उनका निलंबन अचानक समाप्त भी कर दिया गया था।
अभी छत्तीसगढ़ में विधानसभा चुनाव है। मतदान पश्चात कुछ राजनीतिक हलचल निगम स्तर पर हो सकती है इसकी संभावना कम है क्योंकि पार्षदों को 3 दिसंबर मतगणना का वेट करना होगा परिणाम के बाद ही राजनीतिक समीकरण स्पष्ट होंगे। यदि राज्य में सत्ता बदल गई तब नगर निगम पार्षद दल में सट्टा अनुकूल हो जाने की दौड़ बढ़ जाएगी और हो सकता है महापौर पद भाजपा के खेमे में चल दे, यदि सत्ता परिवर्तन नहीं हुआ तो सब कुछ नए मुख्यमंत्री के मुंड पर निर्भर करेगा। फिलहाल बिलासपुर महापौर रामशरण को पद छोड़ने की कोई सीधी जरूरत नहीं अब किसी भी राजनीतिक दल के निर्वाचित या गैर निर्वाचित प्रतिनिधि से नैतिकता की बाते करना उपयुक्त नहीं लगता।
पीसीसी का निर्णय डैमेज कंट्रोल के लिए लिया गया बताया जाता है। यह बात गले नहीं उतरती रामचरण ने जो कुछ कहा इसकी सत्यता कोई नहीं जानता पर कार्रवाई होना यह बताता है कि एक साथ सभी बड़े नेताओं को लपेटना गलत हो गया।
ऑडियो में चार बड़े नेता बघेल, चरण दास महंत, प्रदेश अध्यक्ष दीपक बैज, उप मुख्यमंत्री टीएस सिंह देव को लपेटा और साथ में प्रदेश प्रभारी को भी लपेट लिया। ऐसे में बचाने वाला कोना बचा ही नहीं अन्यथा नेताओं के खिलाफ नेताओं के द्वारा ऐसी बयान बाजी होते रहती है। टिकट के लिए रकम वसूली या डोनेशन का कलेक्शन और उसकी बातें बीजेपी में भी आम जिनकी बातें कल करेंगे।