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कार्यभार पूरा होने के बाद भी मिला एक्सटेंशन

कोयला कर्मचारी को मिला डीआर का आशीर्वाद

24hnbc.com
समाचार -
बिलासपुर, 14 मार्च 2023। उप पंजीयक सहकारी संस्थाएं जिसे डीआर के शॉट फार्म से जाना जाता है के न्यायालय में कोयला कर्मचारी गृह निर्माण एवं कल्याण सहकारी समिति मर्यादित बिलासपुर और शिक्षित स्वरोजगार उद्योग सहकारी समिति मर्यादित का एक प्रकरण विवादों में फंस गया है। डीआर की अब तक की कार्यवाही को देखकर लगता है की वे कोयला कर्मचारी समिति के पक्ष में कार्य कर रहे हैं। लगभग 2 साल पूर्व जे आर ने इस सहकारी समिति को भंग कर दिया। इस आदेश के विरुद्ध में समिति प्रबंधक छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय गया जहां से उनका स्टेटस मेंटेन हो गया। जेआर के आदेश के साथ ही प्राधिकृत अधिकारी के रूप में एक सहकारी निरीक्षक की नियुक्ति भी हो गई थी। पर सहकारी निरीक्षक ने इसलिए अपना पदभार नहीं लिया क्योंकि सहकारी समिति के पक्ष में उच्च विद्यालय का अंतरिम आदेश था। उच्च न्यायालय में अंतिम सुनवाई मे लगभग 2 साल से ज्यादा का समय लग गया इस बीच धारा 48 के तहत समिति का कार्यकाल समाप्त होने के कारण डीआर ने समिति भंग करने का एक आदेश पृथक से जारी किया जिसमें परीसमापक अधिकारी के रूप में उसी सहकारी निरीक्षक को दायित्व दिया गया जिसे प्राधिकृत अधिकारी बनाया गया था। तब भी उन्होंने ना तो सहकारी समिति को आदेश की सूचना दी ना ही संबंधित बैंक को अपना परीसमापक अधिकारी घोषित होने की सूचना दी। क्योंकि इस सरकारी निरीक्षक का रिटायरमेंट नजदीक आ रहा था सो उसने परीसमापक अधिकारी के पद से हटाए जाने का एक निवेदन डीआर से किया डीआर ने उसे माननीय करते हुए एक महिला सहकारी निरीक्षक को परीसमापक नियुक्त कर दिया। नियुक्ति के बाद महिला सहकारी निरीक्षक एक बार सहकारी समिति के दफ्तर गई और वहां उसने कार्यालय में ताला डला होने का पंचनामा बनाकर डीआर के पास प्रस्तुत कर दिया। कुछ समय बाद डीआर ने फिर से परीसमापक अधिकारी बदला और तीसरी बार भी लगातार चार माह हो जाने के बावजूद परीसमापक अधिकारी ने अपना कार्यभार ग्रहण नहीं किया। इस बीच में फरवरी माह में उच्च न्यायालय से सहकारी समिति का वह प्रकरण निराकृत हुआ जिसमें जेआर के आदेश के खिलाफ सरकारी समिति को भंग किया गया था। आदेश में जेआर के आदेश को निरस्त कर दिया गया गया डीआर का जो आदेश धारा 48 के तहत हुआ था उसे कभी भी किसी भी फोरम पर चैलेंज नहीं किया गया अब डीआर सहकारी समिति को भांग ना कर उच्च न्यायालय के आदेश की ऐसी व्याख्या कर रहे हैं कि जितने दिन उच्च न्यायालय में धारा 53 के विरुद्ध प्रकरण लंबित रहा इतने दिन का कार्यकाल बढ़ा दिया जाए। असल में पिछले 10 वर्षों से कोयला कर्मचारी गृह निर्माण सहकारी समिति भ्रष्टाचार का अनियमितता का अड्डा बनी है। दो बार पुलिस सीएसपी स्तर के अधिकारी द्वारा वित्तीय अनियमितता की जांच भी हुई है एक बार डीआर के यहां से सहकारी संस्था को ही एफआईआर दर्ज कराने के निर्देश भी दिए गए पर सब कुछ लेनदेन के बाद शांत हो जाता है। सूत्र बताते हैं कि एसईसीएल के अधिकारी वर्ग द्वारा बनाई गई इस सहकारी समिति के पास अपार धन राशि है जिसका उपयोग वे स्थानीय भू माफिया के साथ कर रहे हैं। डीआर के कोर्ट में सहकारी समिति लगरा को लगातार प्रोडक्शन मिलने से डीआर कार्यालय की सभी पर विपरीत प्रभाव पड़ रहा है। सूत्र यह भी बताते हैं कि जिला प्रमुख के पास डीआर पर कोई प्रशासनिक अधिकार ना होने के कारण डीआर और जेआर कलेक्टर को अनदेखा करते हैं। 

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