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यूं ही नहीं कोई जंगल हो जाता, यहां शराब शबाब और कबाब सब कुछ हैं उपलब्ध

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समाचार -
बिलासपुर, 25 मई 2023। अभिषेक विहार मंगला के एक घर में 25000 और कुछ आभूषण की चोरी का मामला, जहां एक और रूचिकर बन रहा है वही जांच एजेंसियों की कार्यप्रणाली पर भी सवालिया निशान लगाता है। 25 तारीख को प्रदेश के एक प्रमुख दैनिक अखबार में दावा किया गया कि प्राथिया के घर रखे गए तीन करोड़ रकम की सूचना जांच एजेंसी को दी गई थी पर अखबार के अनुसार जांच एजेंसी की हिम्मत नहीं हुई छापा मारने की। परिणाम स्वरूप जिन्होंने सूचना दी थी उन्होंने ही चोरी का प्लान बना डाला। जंगल के सूत्र बताते हैं कि इस मामले में महिला स्वयं सहायता समूह की भूमिका भी संदिग्ध है। उनका कहना है कि सरकारी कार्यालयों में अधिकारी और ठेकेदारों के बीच भ्रष्टाचार के लिए कुछ स्वयं सहायता समूह अंडर कवर का काम कर रहे हैं। सोची समझी नीति से कुछ अधिकारी ही महिला स्व सहायता समूह का निर्माण कराते हैं और उन के माध्यम से ही करोड़ों का लेनदेन होता है। वही जिस बड़ी मात्रा में रकम पकड़ी गई और पकड़ी गई रकम से 6 गुना अधिक रकम गायब बताई जा रही है की आवक बलरामपुर जिले से हैं। ऐसे में सूचना तंत्र इस बात को कैसे अनदेखा कर सकता है कि इस रकम का स्रोत एनएक्स नहीं हो सकता बिलासपुर जिला शहरी नक्सल संबंधों के लिए पूर्व में भी खासी पहचान बना चुका है। भाजपा शासनकाल में शहरी नक्सली नेटवर्क खूब हाईलाइटेड रहा और बिलासपुर में तेलीपारा रोड स्थित एक बड़ा कपड़ा बाजार इस मामले में जेल यात्रा भी कर चुका। इस बात को भी कैसे भूला जा सकता है कि इसी शहर से एक महिला अधिवक्ता को देश के ख्यातनाम वीआईपी के विरुद्ध षड्यंत्र के सहयोगी होने के आरोप में कई साल जेल में रहना पड़ा और बड़ी मुश्किल से उन्हें डिफॉल्ट जमानत का लाभ प्राप्त हुआ। यदि बड़ी मात्रा में पकड़ी गई नगद रकम का संबंध संवेदनशील सूचनाओं से नहीं है तब एक दूसरा पक्ष भी खड़ा होता है कुछ वर्ष पूर्व बिलासपुर जिले के ही दो कथित पत्रकारों ने जंगल विभाग के एक रेंजर को भया दोहन कर उससे लगभग 1 करोड़ रुपया वसूल लिया था। इस मामले में एक महिला और दो पुरुष पुलिस के द्वारा पकड़े गए थे मामला अभी भी मुंगेली सत्र न्यायालय में चल रहा है इस मामले में विभागीय स्तर पर रेंजर के विरुद्ध निलंबन की कार्यवाही भी हुई थी डीई का आश्वासन भी दिया गया था पर परिणाम कभी पता नहीं चला। जंगल विभाग में इन दिनों एक चर्चित पत्तलकार ठेकेदार की चर्चा खूब है जो स्वयं तो पदयात्रा करता है पर जिस के घर के सामने रोज महगी एक्सयूवी खड़ी रहती है। बताया जाता है कि ठेकेदार ने हाल ही में कुछ विदेश यात्राएं भी की सूत्र तो यह भी दावा करते हैं कि जंगल विभाग की खबरों के पीछे इसी पत्तलकार ठेकेदार की भूमिका होती है जिस अधिकारी से पटरी नहीं बैठती है उसके खिलाफ अचानक अखबारों में समाचार प्रकाशित होना प्रारंभ हो जाते हैं बाद में लेन-देन के साथ सफेद झंडा पहरा दिया जाता है। हालांकि इन दिनों बिलासपुर में एक आई एफ एस अधिकारी के बारे में कहा जाता है कि वे पत्तलकारों को लाख का भरोसा देते हैं और पारले जी में निपटा देते हैं। तभी तो महिला स्वयं सहायता समूह के पास लाखों की रकम स्टाक होती है से यह भी पता चलता है कि जंगल में शराब, शबाब और कबाब जमकर उड़ाया जा रहा है,