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जन सेवा में उतरने के पूर्व ही सुपर अस्पताल में शुरू हुई गुटबाजी

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बिलासपुर, 31 अक्टूबर 2024।
स्वास्थ्य विभाग में चल रही गुटबाजी का शिकार हाल ही में वर्चुअल पद्धति से उद्घाटित हुआ सुपर स्पेशलिटी अस्पताल भी हो गया है। अपनी स्थापना के पश्चात बिलासपुर के मेडिकल कॉलेज में उसे समय के स्वास्थ्य मंत्री ने जो कैक्टस के पौधे लगाए हुए 15 साल तक व्यवस्था का अंग भंग करते रहे। कुछ बड़े परिणाम नसबंदी कांड, सिम्स भर्ती घोटाला हमेशा सच्चाई को दबाकर रखा गया। जैसे ही भाजपा का शासन समाप्त हुआ तो यह विभाग शालीन समझे जाने वाले विधायक के हाथ आया तब से उसके बिलासपुर के सिपहसालारों ने सिम्स ही नहीं स्वास्थ्य विभाग के हर दफ्तर में विरोधी गुट को आगे बढ़ाया। परिणाम सिम्स में पुरानी तिकड़ी को पीछे हटना पड़ा, और पुरानी तिकड़ी में फूट पड़ी जिन्हें कांग्रेस के कार्यकाल में पावर मिला उन्होंने भी आम जनता की भलाई नहीं अपनी और अपने आका की इच्छा पूर्ति को ही आगे रखा। 
कोविड का वित्तीय घोटाला जिस पर विधानसभा सत्र में भी जांच के आदेश हुए पर परिणाम कुछ नहीं निकला। सत्ता में आए हुए भाजपा को सत्ता में आए 1 साल हो गया। उच्च न्यायालय में चल रही जनहित याचिका के बावजूद सिम्स है कि सुधारने का नाम ही नहीं लेता। सबसे बड़ा कारण सिम्स के प्रबंधन के भीतर गुटबाजी और यही गुटबाजी अब सुपर अस्पताल में भी लग गई। जिस दिन वर्चुअल उद्घाटन हो रहा था उसके एक दिन पहले अर्थात 28 अक्टूबर को संभाग आयुक्त के पास एक शिकायत हुई है दो पेज की शिकायत में 21 बिंदु है। साथ ही पुरानी शिकायतों का एक पुलिंदा भी है। गुटिय नेतृत्व करने वाले डॉक्टर व्यवसायिक शिकायतबाज भी रखते हैं । काम के स्थान पर एक दूसरे के घोटालों को निकाल कर रखना और समय पर उसे बाहर करना जिससे कोई भी डॉक्टर या अधिकारी हीरो न बन सके। सिम्स के डाक्टर चिकित्सा जगत से ज्यादा इन दोनों विधि और वह भी सर्विस मैटर प्लस, जीएसटी का अध्ययन करते हैं। अपनी अवैध कमाई में से बड़ा हिस्सा विधिक सेवा के लिए देते हैं। कई बार तो प्रायोजित तरीके से जनहित याचिकाओं को भी दाखिल कराया जाता है यह सब आधुनिक चिकित्सा प्रेशरस्टैटिसटिक्स है यही कारण है कि पूत के पैर पालने में दिखाई दे रहे हैं और यह तय है कि कोनी का नया अस्पताल गुटबाजी का अड्डा बनने जा रहा है।