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जिला चिकित्सालय में पदस्थ चिकित्सक व नर्स के द्वारा ड्युटी के दौरान मरीजों से अभद्रपूर्ण व्यवहार
- By 24hnbc --
- Tuesday, 13 Aug, 2024
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बलौदाबाजार, 13 अगस्त 2024। (समाचार संकलन जिला प्रतिनिधि)
भले ही कागजों एवं प्रमाणपत्रों में जिला अस्पताल बलौदाबाजार कों अनेकों अवार्ड प्राप्त हो लेकिन जमीनी हक़ीक़त कुछ और ही बया करती है जहाँ स्पष्ट देखा गया है की अस्पताल का स्टाप मरीजों के साथ जरा भी संवेदनशील नहीं है। जिस कारण अस्पताल में आये मरीजों कों काफी दिक्कत व कष्टदायक स्थिति से गुजरना पड़ता है। अस्पताल में तैनात कर्मचारी का मरीजों से ज्यादा अपने काम पर ध्यान रहता है। कोई मोबाइल में तो कई आपस में बात करने में व्यस्त रहते है। किसी कों इस बात से फर्क नहीं पड़ता कि उनके पास जो मरीज आया है उसकी हालत कितनी गंभीर है। डॉक्टर द्वारा सही इलाज व समाधान न बताने एवं स्टॉप नर्स द्वारा अपमानजनक दूरव्यवहार मरीज व परिजन के लिए कष्टप्रद रहता है। जिसका ताज़ा उदाहरण पीड़ित अनीता यादव द्वारा अस्पताल प्रबंधन के खिलाफ दजिला कलेक्टर कों दिए शिकायत में स्पष्ट प्रतीत हो रहा है। आवेदन में शिकायकर्ती ने बताया है कि उनके द्वारा सोमवार कों अपनी दो पोतीयों को और बहु अंजु यादव को सुबह 6:45 मिनट पर जिला अस्पताल लेकर गई। दोनों पोतीयों को 104 डिग्री बुखार था। बच्चे बुखार की हालत में चिल्ला-चिल्लाकर रो रहे थे और उनकी बहु पेट दर्द से तड़पकर रो रही थी। उनके द्वारा गार्ड को जो पंजीयन पर्ची बना रहा था उसे पर्ची बनाने के लिए बोली, लेकिन गार्ड द्वारा पर्ची बनाकर देने से इंकार कर दिया गया। उसके द्वारा बोला गया कि इमरजेंसी वार्ड में जाकर बात करो, तब मैं पर्ची बनाकर दूंगा। 10 मिनट इंतजार की उसके बाद इमरजेंसी वार्ड में अंदर गई। वहां डॉ. त्रिवेदी ड्युटी में थे और एक स्टाफ नर्स थी, जिसका नाम मुझे नहीं मालुम । मेरे अंदर जाने पर नर्स द्वारा बुरी तरह से चिल्लाकर पुछी कि क्या हो गया है? मैं उनको बोली कि मैडम मेरे दोनों बच्चों को 104 डिग्री बुखार है। एक बच्ची साढ़े चार साल की थी, दुसरी बच्ची दो साल की थी। दोनों बच्चे बुखार से तप रहे थे। उन्हें छुकर देखना या बुखार नापकर देखने की बात दुर उनके द्वारा मुझे यह बोला गया कि यहां बच्चे का कोई डॉक्टर नहीं है। आप अपने बच्चे को 10 बजे के बाद ओपीडी में दिखाना। फिर मैं जब बोली मैडम अभी सभी जगह का मेडिकल और अस्पताल बंद है। मैं बच्चे को कहां लेकर जाऊंगी, तब डॉ. त्रिवेदी द्वारा नर्स को पैरासिटामल सिरप देने को कहा गया। उसके बाद नर्स सिरप देकर मुझे बोली चिल्लाकर, यहां से निकलो। मेरे द्वारा फिर बोला गया कि मेरी बहु अंजु यादव के पेट में दर्द है करके तो मुझे बोला गया कि पर्ची कटवाकर बाहर इंतजार करिये। महोदय मैं 7 बजे से लेकर 8:10 मिनट तक इंतजार की, लेकिन वहां कोई इमरजेंसी पेसेंट नहीं होने के बावजुद भी मेरी बहु का कोई इलाज नहीं किया गया। फिर जब मैं गार्ड से बोली कि मैं शिकायत करूंगी, तब गार्ड जाकर अंदर बोला, तब मुझे फिर बुलाया गया। फिर डॉक्टर के द्वारा पूछा गया, क्या हुआ है? मैं बोली अंजु यादव के पेट में असहनीय दर्द है, तो दवाई लिखकर दिये और मुझे बोल दिये कि 11 बजे लेडी डॉक्टर को दिखाना। मैं उनको बोली सर बहुत ज्यादा दर्द है, मासिक धर्म का का तिसरा दिन है, तो वो बोल दिये कि दवाई बाहर से लेना और 11 बजे लेडी डॉक्टर आयेगी तो दिखा देना। उन्होंने आरोप लगाया कि इमरजेंसी वार्ड में दवाई और इंजेक्शन के रहते हुए भी मरीज को दवाई और इंजेक्शन नहीं दिया गया।अनुरोध है कि जिला हॉस्पिटल में मैं जब कभी भी मेरे बच्चों को बुखार की हालत में लेकर जाती हूं तो मुझे हमेंशा यही जवाब मिलता है और डॉक्टर व नर्सों द्वारा बत्तमीजी से बात करके भगा दिया जाता है। हॉस्पिटल में दुसरे डॉक्टरों को बताने से हंसकर टाल देते हैं और यह बोला जाता है कि मैडम सरकारी अस्पताल है। हॉस्पिटल में मरीज परेशान होकर सहीं समय पर अपना ईलाज कराने जाता है, लेकिन वहां डॉक्टर व नर्स के द्वारा दुर्व्यवहार का मरीज की स्थिति को और गंभीर कर देते हैं।जिस पर उनके द्वारा आवेदन के माध्यम से अनुरोध किया कि उक्त शिकायत के आधार पर दोषियों पर उचित कार्यवाही करें ताकि भविष्य में अन्य किसी मरीज को परेशानियों का सामना न करना पड़े।