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जननी सुरक्षा योजना का बुरा हाल नशे की लत ने बिगाड़ा गर्भ काल

 

जबलपुर। संस्थागत प्रसव को बढ़ावा देने व सुरक्षित मातृत्व वाली योजनाओं का जिले में बुरा हश्र हो रहा है। स्वास्थ्य व महिला एवं बाल विकास विभाग के मैदानी अमले द्वारा कामकाज में बरती जा रही लापरवाही के कारण गर्भवती महिलाएं कमजोर हो रही हैं जिसका विपरीत प्रभाव उनके गर्भ पर पड़ रहा है। दरअसल, गर्भावस्था के दौरान नशे का सेवन, महिलाओं में पोषण आहार की कमी समेत कई अन्य कारण गर्भस्थ शिशुओं की सेहत पर भारी पड़ रहे हैं। बीते 6 माह में जिले में जन्म लिए 16 हजार 94 बच्चों में 21 फीसद यानी 3273 का वजन ढाई किलोग्राम से कम पाया गया। ऐसे बच्चों को लो बर्थ वेट यानी कम वजन वाले बच्चे कहा जाता है। हैरान करने वाली बात यह है कि कम वजन के सर्वाधिक बच्चे पाटन और जबलपुर ब्लॉक में जन्म लिए। चिकित्सकों का कहना है कि गर्भस्थ शिशु की शारीरिक कमजोरी उसके मानसिक विकास में बाधा बनती है। प्रीमेच्योर डिलीवरी यानी समय से पूर्व प्रसव का खतरा बना रहता है। चिकित्सक कहते हैं कि महिलाओं में तंबाकू व गुटका का चलन बढ़ा है।गर्भवती महिला में पोषण आहार की कमी का खामियाजा गर्भस्थ शिशु को भुगतना पड/ता है। गर्भ में पर्याप्त पोषण आहार न मिलने से शिशु का विकास रुक जाता है। इसी तरह गर्भवती महिलाओं द्वारा गलत दवाओं का सेवन गर्भस्थ शिशु के शारीरिक व मानसिक सेहत को बिगाड/ता है। जबलपुर में अप्रैल से लेकर सितंबर तक 16 हजार 100 प्रसव दर्ज किए गए जिसमें 16 हजार 94 जीवित बच्चों ने जन्म लिया। हैरान करने वाली तस्वीर है कि 3 हजार 273 बच्चे शारीरिक रूप से कमजोर पैदा हुए। इनमें सबसे ज्यादा 2 हजार 495 बच्चे जबलपुर तथा 1 हजार 126 पाटन ब्लॉक में दर्ज हुए।