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मिशन इन इंडिया पर हुई कार्यवाही, कलेक्टर कब कराएंगे फिजिकल कल्चरल सोसायटी बिलासपुर की जांच

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बिलासपुर, 22 सितंबर 2024। 
चर्च ऑफ़ क्राइस्ट मिशन इन इंडिया संस्था पर बिलासपुर कलेक्टर ने जो कार्यवाही की है उसके लिए वे धन्यवाद के पात्र हैं। उनके साथ ही साथ उस जांच अधिकारी को भी धन्यवाद मिलना चाहिए जिसने एक छोटी शिकायत पर गंभीर विस्तृत और बिंदुवार जांच रिपोर्ट प्रस्तुत की, जो कार्यवाही के लायक बन सके। तत्काल जो कमी आदेश में दिखाई दी वह है शासन द्वारा संस्था के विरुद्ध गबन फेरा वर्तमान में पीएमएलए के तहत इस मामले पर एफआईआर न करना।
पूर्व में सिविल लाइन थाना में जो रिपोर्ट दर्ज है वह संस्था के ही पूर्व शिक्षक आलोक विल्सन के ही द्वारा हुई है। गौरतलब यह भी है कि वर्तमान शिकायत भी उन्होंने ही की थी। आलोक विल्सन इसी संस्था में शिक्षक की नौकरी करते थे और वे ही व्हिसलब्लोअर बने। यहां पर एक बात ध्यान देने योग्य है कि जो कार्यवाही 2024 में हुई वह तो 2011 में ही हो जानी चाहिए थी, प्रस्तावित भी थी ।
अब उल्लेख कर लिया जाए बिलासपुर में एक अन्य बड़ी संस्था का जिसके अध्यक्ष बिलासपुर कलेक्टर स्वयं होते हैं और सचिव की जिम्मेदारी नगर पालिक निगम बिलासपुर आयुक्त के पास है। इस संस्था में वित्तीय अनियमितता, गबन, मद परिवर्तन, भूमि घोटाला, आय व्यय की जानकारी को छिपाना, संविदा कर्मचारियों का शोषण पांच दशक से हो रहा है। 
मध्य प्रदेश शासन के लगभग 40 साल और छत्तीसगढ़ शासन के 23 साल लगातार यह घोटाला जारी है। इस संस्था का नाम है बिलासपुर फिजिकल कल्चर सोसायटी। बिलासपुर कलेक्टर महोदय को भले ही इस संस्था के घपलों की जानकारी ना हो पर आयुक्त नगर पालिक निगम बिलासपुर को है। और उन्होंने इस संदर्भ में निगम के कुछ अधिकारियों से जानकारी भी ली, फिर शांत बैठ गए। जिस तरह मिशन की संस्था में पूरी विधि अनियमितता और गबन को दबाने में बैलेंस शीट में समायोजन करने में सीएम फर्म की भूमिका है। वैसे ही भूमिका फिजिकल कल्चर सोसायटी में है। मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री गोविंद सिंह जी के निर्देश पर फिजिकल कल्चर सोसायटी का निर्माण हुआ था और पंजीयन के समय उसे समय जिले के बड़े गणमान्य नागरिक इस समिति के सदस्य थे। समिति को प्रथम अनुदान मुख्यमंत्री ने ही दिया था। समिति का बायलॉज इस तरह है कि कलेक्टर बिलासपुर समिति का पदेन अध्यक्ष होता है। कल्पना करें बिलासपुर के हृदय स्थल राजा रघुराज स्टेडियम के आसपास स्टेडियम के चारों ओर बनी हुई दुकानें इस संस्था की संपत्ति है। इन दुकानों की खरीदी बिक्री भी हो जाती है और नामांतरण प्रकरण समिति ही सुन लेती है। जो की पूरी तरह विधि विरुद्ध है। दुकानों के मूल आवंटन की सूची के अनुसार समिति को दुकानों से किराए के रूप में बहुत साधारण राशि प्राप्त होती है पर वास्तविक किराया ₹60000 प्रति माह तक है। इसी तरह दुकानों के नक्शे में बड़े परिवर्तन कर लिए गए हैं। 50 साल से अनगिनत बार सांसद और विधायक निधि से बड़ी धनराशि दी गई उसमें भी उपयोगिता प्रमाण पत्र नहीं लगाए गए। फिजिकल कल्चर सोसायटी की आड़ में दर्जनों कर्मचारी नगर पालिक निगम की बांग्ला ड्यूटी करते हैं, यहां तक की कर्मचारियों का नाम और वास्तविक नौकरी करने वाले के बीच भी अंतर है। निगम के जिस भी कर्मचारी को फिजिकल कल्चर सोसायटी का काम मिला वह संपत्ति बनाने से पीछे नहीं हटा। समिति के आजीवन सदस्यों को जिनमें से कुछ अभी जिंदा है पता ही नहीं समिति की किसी बैठक में उन्हें कभी बुलाया गया। रजिस्टर फर्म सोसायटी में इस समिति की फाइल देखने पर पता चलता है कि लगभग 30 - 35 साल हो गए इस समिति के कथित कार्णधारो ने धारा 27 , 28 की जानकारी उपलब्ध नहीं कराई। जिस समिति का पदेन अध्यक्ष स्वयं कलेक्टर हो किस रजिस्टर में हिम्मत होगी उसे नोटिस जारी करने में।
 कांग्रेस विधायक हो या भाजपा का कभी किसी ने विधानसभा में इस समिति के संदर्भ में एक प्रश्न भी नहीं पूछा जबकि सब विधायक इस समिति के भीतर चल रहे हैं बंदरबाट को जानते हैं। बिलासपुर नगर पालिक निगम को आज तक जितने भी महापौर मिले सब प्रथम नागरिकों को इस समिति की गंदगी का खूब पता रहा इस संदर्भ में एनसीपी के नेता निलेश बिश्वास का कहना है कि बिलासपुर जिले के इतिहास में लगातार चलने वाला यह घोटाला खुल जाए, जांच हो जाए तो जिले की राजनीतिक तस्वीर ही बदल जाएगी। नगर पालिक निगम की राजनीति का समुद्र मंथन हो जाएगा और इससे निकलने वाले विष से कई पार्षदों का राजनीतिक जीवन समाप्त हो जाएगा। ऐसे खेल संगठन जो खेल गतिविधियां कम राजनीति ज्यादा करते हैं के पदाधिकारी जेल के भीतर नजर आएंगे शायद यही कारण है कि कोई इस छत्ते में हाथ नहीं डालना चाहता।
पर जिस शहर में आलोक विल्सन जैसे नागरिक हो वहां यह काम संभव है। बिलासपुर शहर के नागरिकों को फिजिकल कल्चर सोसायटी के संदर्भ में आलोक विल्सन का इंतजार रहेगा, और इंतजार रहेगा बिलासपुर कलेक्टर की निष्पक्ष कार्यवाही का काश जिस अधिकारी ने क्राइस्ट मिशन इन इंडिया संस्था की जांच की उसे ही यह काम भी मिल जाए।