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23 में 1 करोड़ 10 लाख, इस बार मांग रहे हैं 1 करोड़ 50 लाख मुर्गा, बकरा, दारू का खर्च भी बढ़ा

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बिलासपुर, 5 सितंबर 2024। 
बस्तर दशहरे के दिन 75 से 77 हो गए हैं। बजट में भी बड़ा अंतर आ रहा है। 2023 में 1 करोड़ 10 लाख का खर्च हुआ बताया जाता है तो इस बार समिति ने सरकार से 1 करोड़ 50 लाख की मांग की है।
 रथ निर्माण के लिए लगभग 50 पेड़ काटे जाते हैं, तो इस बार 251 पेड़ों को लगाया भी गया है। इसी साल विधायकी सत्र के दौरान किरण सिंह देव के प्रश्न के जवाब में सांस्कृतिक मंत्री बृजमोहन अग्रवाल ने बताया कि सरकार ने बस्तर दशहरे के लिए 35 लाख के स्थान पर 50 लाख, सुकमा के रामाराम मेले के लिए 10 के स्थान पर 15 लाख, चित्रकूट उत्सव के लिए 10 के जगह 15 लाख, गौचा मेले के लिए 3 के जगह 5 लाख का बजट का प्रावधान किया है। यह खबर 18 फरवरी 2024 के दैनिक अखबार में छपी है। 
सवाल उठता है जब सरकार ने बजट में 50 लाख की व्यवस्था की है तो एक करोड़ अतिरिक्त राशि कैसे दी जाती है। 2023 के ही अखबार में मुर्गा, शराब, बकरा पर 14 लाख रुपए खर्च होना बताया गया है। और पूरे बस्तर दशहरे में 1 करोड़ 10 लाख की राशि खर्च होना बताई गई। इस बार जब 1 करोड़ 50 लाख मांगा जा रहा है तो निश्चित ही मुर्गा, शराब, बकरा पर भी 14 लाख की अपेक्षा अधिक धनराशि खर्च होगी। 
दवी जवान से ही सही कुछ लोग पूछते हैं जब ईद के वक्त अपने पैसे से बकरा खरीदा और कुर्बान किया जाता है तब आलोचना के स्वर बड़े ऊंचे होते हैं। यहां सरकार से धनराशि लेकर बकरा, मुर्गा, मछली, दारु चढ़ाई जाती है। तो उसे परंपरागत संस्कृति का नाम दे दिया जाता है। क्या धर्मनिरपेक्ष भारत में सरकार किसी एक धार्मिक कार्यक्रमों के बारे में पृथक और अन्य धार्मिक कार्यक्रमों के बारे में अलग-अलग रवैया रख सकती है।