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पड़ गया सूखा, मत पढ़िएगा जुमलेबाजी में

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बिलासपुर, 3 सितंबर 2023।
पिछले माह टीवी चैनल पहाड़ से लेकर मैदानी इलाकों तक में बाढ़ का दृश्य दिख रहे थे यही वह झूठ है जो बड़े षड्यंत्र के तरह दरबारी मीडिया आप को हमको दिखता है। असल में भारत कहें या इंडिया में सूखा पड़ गया है। और जिस सरकार को कॉर्पोरेट ने चुना जिस मीडिया को कॉर्पोरेट ने खरीद रखा है वह हमको सच्चाई क्यों बताएगी। सूखे के साथ जीडीपी की असलियत भी जान ले देश के कुल जीडीपी प्रथम तिमाही 7.8% है। पर इसके अलग-अलग सेक्टर के आंकड़े देखें कृषि जो हमारे देश का आधार है 3.5%, निर्माण 4.7%, सर्विस सेक्टर 10.3%, ट्रेड 25.7 से घटकर 9.2%, मीनिंग 9.5 से घटकर 5.2%, बिजली 14.2 से घटकर 2.9%, कंस्ट्रक्शन 16 से घटकर 7.9%, पब्लिक एड 21.3 से घटकर 7.9 प्रतिशत। 2019-20 में जो स्थिति थी आज हम उससे भी बुरी स्थिति में है। निर्यात 38 मिलियन डॉलर से घटकर 30 बिलियन डॉलर, बारिश कम होने के कारण बांध में भी पानी कम पहुंचा साउथ में 5% कम बारिश हुई इस साल देश में 123 वर्षों में सबसे कम पानी गिरा असल में जीडीपी और सुख के बाद यह महंगाई का अमृत कल है। माचिस की तीली भी महंगी हुई है। आईटीसी के अध्यक्ष और नेस्ले ने बताया है की एफएमसीजी क्षेत्र में डिमांड में 20% की कमी आई है देश में 35% जिलों में सूखा पड़ा है। देश के बांधों में 23% कम पानी इकट्ठा हुआ है 38 दिन का मानसून घटकर 22 दिन का रह गया। जब बारिश में ही पानी नहीं है तब रवि फसल के लिए पानी कहां से आएगा एफएमसीजी के साथ फैशन क्षेत्र 70% छठ के बोर्ड कपड़ा दुकानों में खूब दिखाई दे रहे हैं सीधा अर्थ है त्योहार, शादी के समय में उपभोक्ताओं से झूठ बोला जाएगा अभी नहीं तो कभी नहीं जैसा स्लोगन गडकर उपभोक्ताओं की जब पर डकैती का प्रयास किया जाएगा जबकि समझदार उपभोक्ता हुआ है जो अभी अपने पैसे को संभाल कर रखे। आरबीआई सरकार के दबाव में जो झूठ बोलेगी उसे सच मत मान बैठिएगा।