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इसे महंगाई कहे या कोढ और खाज एक साथ

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बिलासपुर, 11 जुलाई 2023। शीर्षक पड़ने पर खराब लग सकता है पर सच्चाई यही है ऐसा नहीं है कि दैनिक आवश्यकता की चीजों में मूल्य वृद्धि पहले नहीं होती थी पर उपभोक्ता के आय की सीमा के भीतर अब ऐसा नहीं है देश में आर्थिक असमानता पिछले 5 साल में बहुत तेजी से बढ़ी और उपभोक्ताओं के लिए अपनी न्यूनतम आवश्यकताओं के अंदर गुजारा करना मजबूरी हो गया यह मजबूरी लंबे समय से चल रही है। इस कारण आम परिवारों की बचत पहले घटी समाप्त हुई और अब कर्ज की नौबत आ रही है। यही कारण है कि दैनिक अखबारों में गोल्ड लोन की डिफॉल्टर की सूची पूर्व की अपेक्षा लंबी होने लगी है और सत्ताजों सेवा करने के नाम पर पा ली गई सच बोलने पर सता रही है। इसका उदाहरण महंगाई के खिलाफ साधारण विरोध पर पुलिस का पहरा और गिरफ्तारी है सरकार में बैठे निर्वाचित जनप्रतिनिधि शासन के स्थान पर सताने पर उतारू हैं। और हमेशा चुनाव जिसे वे युद्ध के समान देखते हैं को जीतने में लगे हैं। 
आरबीआई के तमाम प्रयास के बावजूद महंगाई दर 4% के नीचे नहीं आ रही सब्जी एवं मसाले की महंगाई के कारण महंगाई दर 6% पहुंच गई आज टमाटर का उच्चतम दाम ₹249 से ऊपर भी चला गया रसोई के मसाले रोज उछाल मार रहे हैं दाल और अनाज भी रंग बदलने वाला है।