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खाता ना बही नरेंद्र कहे तो सही

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समाचार - बिलासपुर
बिलासपुर। आइए हम समझते हैं की रेवड़ी बांटना और कारपोरेट का कर्जा माफ करना के बीच देश की सेहत के लिए हमारे नेता कितने ईमानदार हैं सफर में चलने के पूर्व 3 शब्दों का अंतर और देख ले और बार-बार पूरे समाचार के दौरान इन शब्दों को दिमाग में रखें मतदाता का पैर खुर और कॉर्पोरेट दोस्तों का पैर चरण याद रखिएगा, कोविड काल में अपने घरों की ओर पैदल साइकिल पर निकले हुए लोगों ने सुबह से शाम तक जीएसटी पटाया है । देश में सत्ता के लिए 15 लाख करोड़ रुपए खर्च हो जाता है। 2019 में ही 1 लाख करोड़ खर्च हुआ। राज्यों की सत्ता पर चुनाव के समय कुल खर्च 25 से 40 लाख हजार करोड़ का होता है और जिसे प्रधानमंत्री रेवाड़ी कल्चर बता रहे हैं। उस पर 3.5 लाख करोड़ खर्च होता है केंद्र ने अपने 8 साल के कार्यकाल में कारपोरेट मित्रों का कर्जा रिटर्न ऑफ करके बट्टे खाते में डाल कर 15 से 20 लाख करोड़ रुपए डूबाया है। रेवड़ी कल्चर पर खर्च हुआ 3.5 लाख करोड़ कारपोरेट का कर्जा माफ किया 15 लाख करोड़ बड़ा कौन है. ..... जिसने देश की अर्थव्यवस्था को कितना चुना लगाया 2019 में कारपोरेट टैक्स को एक झटके में 30 से 22% पर ले आई देश को 28 लाख करोड़ का राजस्व चुना लगा 2016,17,18,19 में कुल मिलाकर 222000 करोड़ का चूना लगा है । कारपोरेट टैक्स के छुट से देश को हर साल 600000 करोड़ का नुकसान होता है। पिछले 8 साल से डिसइनवेस्टमेंट की बड़ी चर्चा है हम परत दर परत बताते हैं कि केंद्र सरकार ने अपने उद्योगपति मित्रों को किस तरह 60 से 70% छूट देकर देश को लूटा पहला 20 - 21 में एच ए एल के 14.32% शेयर बेचे कुल पैसा आया, 4923 करोड़ मार्केट से 70% कम रेट पर भेज दिए गए थे। 17 -18 में 10% शेयर बेचे थे पैसा आया था 4000 करोड़। 14.32% बेचे सब पैसा आया था 4923 करोड़ इसी तरह भारत डायनॉमिक्स का 12.82% शेयर बेचा पैसा आया फिर 771 करोड़ इस कंपनी का शेयर भी 60% कम पर बेचा गया। मजगांव पोट का 15% शेयर बेचा गया 442 करोड़ यह भी बाजार भाव से 50% कम पर बेचा गया आईआरसीटीसी में 20% शेयर बेचे 4474 करोड़ और खरीदने वाले ने 20-21 में ही 1000 करोड़ रूपया कमा लिया। यदि निजी क्षेत्र 1000 करोड़ रुपए कमा सकता है तो यही पैसा सरकार क्यों नहीं कमा सकता, रेलवे टेक्स का 27% शेयर बेचे मात्र 817 करोड़ आखिर सरकार बाजार भाव से 60, 70% कम पर हिस्सेदारी की बिक्री कर रही है तो इसे रेवड़ी बांटना कहे या सरकारी खजाना लूटा ना एयर इंडिया का उदाहरण ले 40000 करोड़ का कर्जा सरकार ने अपने खाते में रखा और उसे अपने मित्र को 27500 करोड़ में बेच दिया क्या इसे लूट कहेंगे या रेवड़ी इन दिनों एमएलए खरीदने में जो करोड़ों रुपए कि खर्च होने की चर्चा है 1-1 प्रदेश की सत्ता पाने के लिए ऑपरेशन लोटस में कई लाख करोड़ रुपए का खर्चा आखिर आता कहां से है । देश की मारी हालत खराब है 160000 करोड का माल केंद्र सरकार एक लाख करोड़ में बेच देती है मित्रों का कर्जा रिटर्न ऑफ कर देती है बट्टे खाते में डाल देती है। 2016 मे 108000 करोड , 17 में 106000 करोड़ ,18 में 236000 करोड़, 19 में 234000 करोड और 20 में 234000 करोड़ कॉर्पोरेट के कितने कर्ज को बट्टे खाते में डाल दिया कोई पूछने वाला है तभी तो हम कहते हैं खाता ना बही नरेंद्र कहे तो सही. ....।