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पर्सनल लोन के नाम पर हुआ बड़ा घोटाला रेलवे में चल रही दबी छुपी पूछताछ

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समाचार - बिलासपुर
बिलासपुर। बिलासपुर शहरी क्षेत्र में समय-समय पर बैंक ऋण घोटाले बाहर आते रहते हैं इन दिनों व्यक्तिक लोन घोटाले को लेकर एक बैंक विशेष तरीके से परेशान हैं। बैंक के अधिकारियों को जिस सरकारी विभाग से सहयोग चाहिए वह रेलवे या उसके अधिकारी सहयोग भी नहीं कर रहे हैं। असल में हुआ कुछ इस तरह था कि एक संगठित गिरोह ने बैंक को किसी सीए के माध्यम से पर्सनल लोन के आवेदन पत्र दिए अधिकतर प्रकरण में यह बताया गया कि लोन लेने वाला रेलवे का कर्मचारी है। बैंक ने कोविड काल होने के कारण गहनता से आवेदन पत्रों का परीक्षण नहीं किया और ऋण राशि का डिसबर्समेंट हो गया बाद में यह सभी अकाउंट एनपीए दिखाने लगे प्रारंभिक जांच से ही बैंक के अधिकारियों को संदेह हो गया की लोन लेने वाला सरकारी कर्मचारी है, जबकि वह नहीं है । उसे कर्मचारी बताया गया था वह रेलवे में जब कभी भी बैंक अधिकारी जांच करने जाते हैं रेलवे के संबंधित अधिकारी नियमों का हवाला देकर सहयोग करने से इनकार कर देते हैं यदि जांच खामोशी से ही हुई तो कोई परिणाम नहीं निकलेगा। यहां यह बताना जरूरी है कि रेलवे कर्मचारियों ने समय-समय पर इस बात की कई बार शिकायत भी की है कि उनके बगैर जानकारी के हाउसिंग लोन हो गया हालांकि यह इतना आसान भी नहीं है, किंतु फर्जी दस्तावेज तैयार किए जाएं तो इतना कठिन भी नहीं है। यदि हाउसिंग लोन में बिना कर्मचारी के आवेदन पत्र लगाए हाउसिंग लोन हो सकता है तो व्यक्तिक लोन में भी इस बात की बड़ी संभावना है। इस संदर्भ में रेलवे के बड़े अधिकारी कुछ भी कहने से बच रहे हैं दूसरी तरफ यूनियन के नेताओं ने चर्चा में माना कि रेलवे क्षेत्र में ऐसा गिरोह काम करता रहता है जो साधारण लोगों को रेलवे का कर्मचारी बताकर बड़ा लोन निकलवाता है और स्वीकृत ऋण राशि का 80% दलाल रखते हैं जिस व्यक्ति का फोटो व नाम का उपयोग होता है उसे 20% पर ही संतोष करना पड़ता है। निश्चित ही इस खेल में किसी न किसी बैंक अधिकारी की बड़ी भूमिका है।