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एनटीपीसी के दावे और जमीनी सच्चाई
- By 24hnbc --
- Sunday, 10 Apr, 2022
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समाचार - बिलासपुर
बिलासपुर। हाल ही में एनटीपीसी सीपत इकाई सुपरक्रिटिकल के प्रबंधन ने अपनी सफलताओं उपलब्धियों के प्रचार प्रसार के लिए प्रेस मीट आयोजित की थी इसमें कुछ गलत भी नहीं है। प्रेस मीट में प्रबंधन ने जो दावे किए थे उनमें से कुछ दावे बिल्कुल वास्तविकता से हटके है विशेषकर एनटीपीसी प्रभावित गांव को लेकर खर्च की गई सीएसआर मद को लेकर है। ग्राउंड रिपोर्ट बताती है कि 2 वर्षों से एनटीपीसी में प्रभावित गांवों को सीएसआर मद में कोई भुगतान नहीं किया है राख, रलिया, पंधी 1-2 नहीं 8 से 9 ऐसे गांव हैं जो अपने क्षेत्र में एनटीपीसी का जहर झेलते हैं छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश सहित देश के 4 राज्यों को भरपूर बिजली देते हैं और बदले में उन्हें सीएसआर में उनका जायज हिस्सा भी नहीं मिलता जिसके वे पहले हकदार हैं । नाम प्रकाशित न करने के आश्वासन पर प्रभावित गांव के सरपंचों ने अपना दुखड़ा बयान किया उन्होंने बताया कि कुछ ही दिन पूर्व प्रबंधन के लोग आए और मास्क, सैनिटाइजर फिर दे गए जबकि मास्क और सैनिटाइजर का फिलहाल कोई उपयोग नहीं है यदि बांट दे तो आम नागरिक इन्हें सुरक्षित नहीं रखेगा और यदि न बांटे तो सरपंच की बदनामी की बांटने वाली चीज अपने घर पर रख कर बैठा है इसके साथ ही सौर ऊर्जा को लेकर भी एनटीपीसी और क्रेडा के बीच मिलीभगत का संदेह गहराता है अपने स्थापना के प्रारंभिक चरण में एनटीपीसी ने क्रेडा के साथ सौर ऊर्जा को लेकर दीर्घकालीन सौदा किया था। अनुबंध के मुताबिक एनटीपीसी प्रभावित गांव में सौर ऊर्जा से स्ट्रीट लाइट की व्यवस्था की गई बताया जाता है कि इस स्ट्रीट लाइट का रखरखाव क्रेडा के जिम्मे था अब एक भी ऐसा प्रभावित गांव नहीं है जहां पर स्ट्रीट लाइट सौर ऊर्जा से जल रही हो दोनों पक्ष जिम्मेदारी को एक दूसरे पर डालते नजर आते हैं।