
24hnbc
अडानी को फ्री हैंड और एसईसीएल को नियम समझे कोयला के खेल को
- By 24hnbc --
- Sunday, 30 Jan, 2022
24hnbc.com
समाचार - बिलासपुर
बिलासपुर। छत्तीसगढ़ में कोयले की आड़ में इन दिनों राजनीति गर्म होने वाली है एक तरफ एसईसीएल में दिए हुए लक्ष्य को पूरा न कर पाने के कारण सीएमडी को बदल दिया गया और दूसरी तरफ सरगुजा क्षेत्र में हसदेव अरण्य नोगो क्षेत्र में दी गई कोयला खनन की अनुमति में जितना कोयला 15 साल में निकाला जाना था वह 7 साल में निकाल लिया गया और यह कोयला कहां गया किसी को नहीं पता.... यह कारनामा अडानी का किया हुआ है तो एसईसीएल लक्ष्य पूरा नहीं किया और अडानी ने 15 साल का कोयला 7 साल में ही निकाल लिया इस खेल को समझें और एसईसीएल की निजीकरण की आहट को अभी से चुनौती देने के लिए डट जाएं पूरी कहानी इस तरह है।
हसदेव अरण्य के 2711 हेक्टेयर क्षेत्रफल में कोयला खनन अनुमति की अनुमति 2388 हेक्टेयर क्षेत्रफल में 30 मई 2012 को माइनिंग लीज प्रदान की गई परियोजना में सरगुजा के 7 गांव के जंगल, जमीन और जल प्रभावित हो रहे हैं । प्रभावित 2 गांव का पूर्ण विस्थापित क्षेत्र 2388 हेक्टेयर है माइनिंग की लीज 1898 हेक्टेयर में से 328 हेक्टेयर वन्य भूमि है इस क्षेत्र में दो चरण में खनन लीज मिलनी थी। पहला चरण 762 हेक्टेयर और दूसरा चरण 1176 हेक्टेयर का था पहला चरण जब 2024 में समाप्त होता तो प्लान के अनुसार खनन के बाद जमीन का पुनर्भरण रिक्लेशन के बाद ही दूसरी लीज दी जाति किंतु ऐसा नहीं हुआ खनन का यह क्षेत्र राजस्थान सरकार को दिया गया राजस्थान सरकार ने एमडीओ के आधार पर इस क्षेत्र से कोयला निकालने का काम अडानी को दे दिया और यहीं पर तमाम तथ्यों को जाने बिना केंद्रीय वन पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय की सलाहकार समिति ने 23 दिसंबर 2021 को हसदेव अरण्य वन क्षेत्र में परसा ईस्ट केतेबेसन कोयला खनन परियोजना की खनन अनुमति जारी कर दी पहले केंद्र ने तय किया था कि दूसरा चरण 2028 में चालू होगा किंतु यह 2021 में ही शुरू हो गया हसदेव अरण्य क्षेत्र जिसे पर्यावरण संवेदनशील मानते हुए 2010 में ही नोगों क्षेत्र घोषित किया गया उसमें चोटिया परसा ईस्ट केतेबेसन खनन क्षेत्र की अनुमति दी गई है एक तरफ निजी क्षेत्र की खदानों को नोगों क्षेत्र में भी काम करने दिया जा रहा है दूसरी तरफ एसईसीएल को खनन के लिए रोज नए पापड़ बेलने पड़ते हैं इन्हीं सब के कारण 2021-22 में 1720 लाख टन कोयला उत्पादन का लक्ष्य दिया गया और केवल 1100 लाख टन उत्पादन हो सका प्लेंटी कॉल मंत्रालय ने एसईसीएल के एमडी को बदल दिया रोज नए आंदोलन हो रहे हैं खदान के लिए अधिग्रहित भूमि 2500 हेक्टेयर को क्लीयरेंस नहीं मिल रहा है और यही सब राजनीति इशारा करती है कि आने वाले टाइम में एसईसीएल का निजीकरण कर दिया जाएगा आम व्यक्ति जनप्रतिनिधि इस संयंत्र को समझें।